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चाचा की वजह से एलिजाबेथ की किस्मत में आया राजयोग, जानिए कैसे बनी सिंहासन की दावेदार

लंदन । महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) के निधन (Death) की खबर के बाद दुनियाभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. हर कोई उनके कर्तव्य, दयालुपन और हंसमुख व्यक्तित्व को याद कर रहा है. महारानी ने 7 दशक तक ब्रिटेन (Britain) पर राज किया और हर दिल में बसी रहीं. महारानी के रूप में उनकी लोकप्रियता (Popularity) गजब की है. महारानी बनने के बाद के उनसे जुड़े कई किस्से हैं और इनमें से अधिकतर के बारे में लोगों को जानकारी भी है, लेकिन महारानी बनने से पहले की एक कहानी बहुत कम लोग जानते हैं. यह कहानी उनके चाचा (uncle) से जुड़ी है जिनकी वजह से वह महारानी बन सकीं. आइए आपको विस्तार से बताते हैं पूरा मामला.


यहां से खुला रास्ता
दरअसल, एलिजाबेथ के दादा किंग जॉर्ज पंचम थे और उनकी मौत के बाद एलिजाबेथ चाचा किंग एडवर्ड VIII ने ब्रिटेन का सिंहासन सभाला. वहीं, एलिजाबेथ अब अपने पिता किंग जॉर्ज के बाद सिंहासन की कतार में दूसरे नंबर पर थीं. हालांकि, इसकी उम्मीद कम ही थी कि वह या उनके पिता सिंहासन संभालेंगे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. एलिजाबेथ के चाचा और महाराज किंग एडवर्ड VIII ने तब प्यार के लिए राज छोड़ दिया और इसी घटना से एलिजाबेथ के लिए रास्ता बन गया.

इस तरह बन गईं सिंहासन की दावेदार
दरअसल, यह कहानी वर्ष 1936 से शुरू होती है. तब एलिजाबेथ के चाचा और राजा किंग एडवर्ड अष्टम दो बार तलाक ले चुकी अमेरिकी सोशलाइट वालिस सिम्पसन से अपने प्यार को स्वीकार किया और उससे शादी करने की बात परिवार वालों से कही. घरवालों ने इनकार किया तो उन्होंने शादी की जिद ठान दी. राजपरिवार में काफी दिनों तक बवाल चला. परिवार वाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए. अंत में राजा बनने के महज 11 महीने बाद प्यार के लिए किंग एडवर्ड अष्टम ने गद्दी छोड़ने का फैसला किया. अपने प्यार के लिए राजघराने को भी छोड़ने की इस कहानी को 20वीं सदी के महान प्रेम का दर्जा दिया गया है.

सिंहासन छोड़ चाचा फ्रांस चले गए थे
एडवर्ड को शाही जिम्मेदारियों को त्यागते वक्त कहा था, “जब मैं आपसे कह रहा हूं तो आपको मेरा यकीन करना होगा कि मेरे लिए राजा के रूप में मेरे दायित्वों का निर्वहन और इस बोझ को बिना उस महिला की मदद के उठाना असंभव है जिसे मैं प्रेम करता हूं.” यह कह कर एडवर्ड ने सिंहासन छोड़ दिया था. राजघराने को छोड़कर उन्होंने अपना बाकी जीवन फ्रांस में बिताया. उनके जाते ही ब्रिटेन का राज जॉर्ज षष्टम को मिल गया और जॉर्ज षष्टम से यह सिंहासन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को मिल गया.

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