नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ‘खटाखट’ स्कीम (‘Khat Khat’ Scheme) को जोरदार झटका दिया है। हैरान हो गए न! पहली नजर में झटका तो लगेगा ही, लेकिन हुआ यही है। दरअसल, 30 नवंबर 2025 को हुए ऐतिहासिक जनमत संग्रह में दुनिया के सबसे अमीर देश स्विट्जरलैंड के 78% से अधिक मतदाताओं ने उस धन-पुनर्वितरण प्रस्ताव को धाराशायी कर दिया, जो राहुल गांधी की 2024 वाली नकद हस्तांतरण वाली ‘खटाखट’ योजना से काफी हद तक मिलता-जुलता था।
भारत में राहुल गांधी गरीब महिलाओं के खाते में ‘खटाखट’ एक लाख रुपये सालाना डालने का वादा कर रहे थे, वहीं स्विस आल्प्स में समाजवादी पार्टियां अरबपतियों की विरासत और बड़े गिफ्ट्स पर 50% इनहेरिटेंस टैक्स लगवाना चाहती थीं। नतीजा दोनों जगह एक जैसा- जनता ने साफ कह दिया कि जो मेरा है, वो मेरा है।
JUSO का कैंपेन युवाओं से भावनात्मक रूप से जुड़ा। उनका नारा था कि अमीरों को अरबों की विरासत मिलती है, हमें संकट मिलता है। फिर भी नतीजे बता रहे हैं कि भले ही लोग असमानता से चिंतित हों, लेकिन स्विट्जरलैंड के आर्थिक मॉडल को जोखिम में डालने वाले इतने कठोर टैक्स के लिए वे तैयार नहीं थे।
जनमत संग्रह से पहले इस प्रस्ताव का भारी विरोध हो रहा था। बैंकिंग सेक्टर, बिजनेस कम्युनिटी और स्विस सरकार ने चेताया कि ऐसा टैक्स लगा तो अमीर लोग देश छोड़कर चले जाएंगे, टैक्स कॉम्पिटिटिवनेस खत्म हो जाएगी और अंत में कुल टैक्स कलेक्शन ही घट जाएगा।
वहीं जमनत संग्रह से स्विट्जरलैंड की जनता ने साफ संदेश दे दिया कि मेहनत की कमाई और विरासत पर कोई डाका नहीं चलेगा। माना जा रहा है कि इससे ‘खटाखट’ का सपना देखने वालों के लिए यह जोरदार झटका है।
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