
डेस्क: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली, आगरा और मेरठ (Bareilly, Agra and Meerut) मंडलों में बहुचर्चित खाद्यान्न घोटाले (Foodgrain Scam) की परतें अब खुलने लगी हैं. इस घोटाले की जांच कर रही सीआईडी (CID) ने सनसनीखेज खुलासे किए हैं. इसमें बताया है कि यह जालसाजी राशन डीलरों (Ration Dealers) से लेकर डीएसओ (DSO) और एडीएम (SDM) रैंक तक के अधिकारियों की मिलीभगत से अंजाम दी गई है. यही नहीं, एक-एक आधार कार्ड (Aadhar Card) पर 90 से 100 लोगों को राशन बांटने की बात भी सामने आई है. सीआईडी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करते हुए कहा है कि इस घोटाले में नाबालिग बच्चों को भी लाभार्थी बनाकर गरीबों का हक छीना गया है.
इसी क्रम में सीआईडी ने मेरठ के डीएसओ के खिलाफ कच्चा चिट्ठा पेश करते हुए विभागीय कार्रवाई तक की सिफारिश कर दी है. बता दें कि यह धांधली पहली बार साल 2018 में सामने आई थी. इसमें कहा गया था कि 2015 से 2018 के बीच इन तीनों मंडलों में बड़े स्तर पर अनियमितता बरती गई है. इसमें अधिकारियों-कर्मचारियों ने राशन डीलरों की मिली भगत से गरीब परिवारों (बीपीएल) का राशन खा लिया है. इस संबंध में 134 से अधिक मुकदमे भी दर्ज किए गए.
उस समय मामले की जांच पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को दी गई थी, लेकिन 5 साल की जांच के बाद भी कुछ खास प्रगति नहीं हुई तो मामला फरवरी 2024 में सीआईडी को सौंप दिया गया. अब सीआईडी ने मामले की जांच करते हुए 110 मुकदमों का निस्तारण कर दिया है. इन सभी मामलों में मेरठ के तत्कालीन डीएसओ विकास गौतम समेत अन्य संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी कर दी है.
सीआईडी की जांच में घोटाले की जड़ का खुलासा हुआ है. इसमें पता चला है कि यह सारी धांधली आधार कार्ड के दुरुपयोग से हुई है. अधिकारियों और कर्मचारियों ने कोटेदारों से मिलीभगत कर वास्तविक लाभार्थियों के आधार नंबर को एडिट कर दिया. इसके बाद पात्रों के नाम से अपात्रों के नाम से राशन रिलीज किया गया. अपनी चार्जशीट में सीआईडी ने कई जिला पूर्ति निरीक्षक, राशन डीलर, सेल्समैन और कंप्यूटर ऑपरेटरों को नामजद किया है. इनके अलावा कुछ अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटऔर डीएसओ के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की है.
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव खाद्य एवं आपूर्ति रणवीर प्रसाद के मुताबिक राशन वितरण में धांधली रोकने के लिए सरकार कुछ नए प्रावधान और तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है. इसमें खासतौर पर राशन की दुकानों पर एल-1 तकनीक लागू होगी. इस तकनीक में अंगूठे का प्रवाह दर्ज करने के बाद ही अंगूठे का निशान स्वीकार होगा. इस व्यवस्था से अंगूठे की नकल नहीं हो सकेगी. उन्होंने बताया कि 30 जून 2025 तक सभी ई-पॉश मशीनों में एल-1 डिवाइस इंस्टाल कर दी जाएगी.
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