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कोरोना से कर रहें रिकवरी, इन लक्षणों को न करें अनदेखा, dangerous बीमारी के हो सकतें हैं शिकार

भारत (India) में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच हाई रिकवरी रेट (High recovery rate) ने लोगों की उम्मीद जगाई है. हालांकि कई मामलों में देखा गया है कि SARS-COV-2 रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है. नई स्टडीज के मुताबिक, कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले कुछ मरीजों में भी लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन (Long term implementation) देखे जा सकते हैं. ये दिक्कतें रिकवर होने के बाद भी रोगियों में लंबे समय तक देखी जा सकती हैं.

कोरोना से लंबे समय तक बीमार रहने वाले ऐसे मरीज किसी पुरानी बीमारी का शिकार हो सकते हैं या कमजोर इम्यूनिटी के चलते भी उन्हें खास देख-रेख की जरूरत पड़ सकती है. उदाहरण के लिए हम ऐसी कई रिपोर्ट्स देख चुके हैं जिनमें रिकवरी के बाद भी मरीजों को हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट हुआ है. डायबिटीज के मरीजों में भी ऐसी दिक्कतें देखी गई हैं. SARS-COV-2 वायरस शरीर में किडनी डैमेज को ट्रिगर कर सकता है.

रिकवर हुए मरीजों पर कई ऐसे शोध चल रहे हैं जिनसे संकेत मिला है कि गंभीर संक्रमण से लड़ने वाले रोगियों की कार्डिएक हेल्थ और मेंटल हेल्थ को बड़ा नुकसान हो सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 से रिकवर हो चुके मरीजों को अब न सिर्फ फॉलोअप स्क्रीनिंग या टेस्ट कराने की जरूरत है, बल्कि हर एक वॉर्निंग साइन और लक्षण को पहचानने की भी आवश्यकता है.



कोविड-19 से कितनी अलग ऐसी दिक्कतें-
लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड को एक सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद 4 हफ्ते तक उसे बीमारी के लक्षण महसूस हो सकते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, चार में से एक कोरोना मरीज लंबे समय तक लक्षण महसूस कर सकता है.

क्या होते हैं लक्षण-
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों को एक सप्ताह या एक महीने बाद भी इसके लक्षण महसूस हो सकते हैं. इसमें लगातार खांसी, कमजोरी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और ब्रेन फॉग जैसी शिकायतें हो सकती हैं. हालांकि डॉक्टर्स का ये भी कहना है कि कोविड-19 से अलग कुछ मरीजों में ये लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन बॉडी के खराब फंक्शन की वजह से भी हो सकते हैं. ये हमारे मेटाबॉलिक सिस्टम, न्यूरोलॉजिकल और इन्फ्लेमेटरी हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है.

डायबिटीज-
डायबिटीज रोगियों (Diabetes patients) के लिए कोविड-19 को बेहद खतरनाक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि ये वायरस पैंक्रियाज जैसे शरीर के प्रमुख अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है और इंसुनिल रेगुलेशन को बाधित कर सकता है. इसलिए बीमारी से जूझ रहे लोगों को नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की (Blood sugar level) जांच करनी चाहिए. साथ ही कुछ खास लक्षणों पर गौर करना चाहिए.

इन लक्षणों को करें मॉनिटर-
डायबिटीज के मरीजों को कोविड-19 से रिकवरी के बाद कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए. क्या आपको बहुत ज्यादा भूख और प्यास महसूस हो रही है? क्या आपको धुंधला दिखाई दे रहा है या जख्म भरने में काफी वक्त लग रहा है? इसके अलावा बहुत ज्यादा थकान या हाथ-पैरों में सुन्नपन को भी इग्नोर नहीं करना चाहिए.

मायोकार्डाइटिस या हार्ट से जड़ी दिक्कत-
कोरोना के दूसरी लहर (Second wave of corona) में कई ऐसे मामले देखे जा चुके हैं जहां रिकवरी के बाद मरीज को ब्लड क्लॉट और हार्ट अटैक जैसी दिक्कतें हुई हैं. कोविड-19 कम उम्र के लोगों में भी हृदय से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है. ऐसे में लोगों को सांस की दिक्कत, छाती में दर्द और बहुत ज्यादा थकावट की शिकायत हो सकती है. डॉक्टर्स कहते हैं कि कोविड-19 हार्टबीट, मोयाकार्डाइटिस (Myocarditis) (इन्फ्लेमेशन) या हृदय से जुड़ी परेशानियों को ट्रिगर कर सकता है.

इन लक्षणों को करें मॉनिटर-
डॉक्टर्स कहते हैं कि हार्ट इन्फ्लेमेंशन (Heart inflammation) की ये समस्या पांचवें दिन उभर सकती है जिसकी जल्द से जल्द जांच की जानी चाहिए. हृदय पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कुछ वॉर्निंग साइन देखकर समझा जा सकता है. सीने में बेचैनी, हाथों में दबाव या दर्द, पसीना आना, सांस में तकलीफ, अनियंत्रित ब्लड प्रेशर और अनियित हार्ट बीट इसके लक्षण हैं.

साइकोलॉजिकल डिसॉर्डर-
इसी तरह रिकवर होने के बाद कुछ लोगों में साइकोलॉजिकल डिसॉर्डर (Psychological Disorder) देखा गया है. इसके भी कुछ खास लक्षण होते हैं. मूड डिसॉर्डर, ब्रेन फॉग, एकाग्रता की कमी, मेमोरी लॉस, स्ट्रेस या एन्जाइटी, क्रोनिक इंसोमेनिया (Chronic insomnia) या सहारे के बिना कोई काम करने में कठिनाई जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें.

किडनी डिसीज-
इसी तरह रिकवरी के बाद किडनी से जुड़ी दिक्कतों पर भी गौर करना चाहिए. डॉक्टर्स कहते हैं कि रिकवरी के बाद आपके पैर या टखने में सूजन आ रही है तो ये खतरनाक हो सकती है. बहुत ज्यादा पेशाब आना या उसका रंग बदलना भी सामान्य बात नहीं है. अचानक से वजन बढ़ना, खराब डाइजेशन या भूख न लगना भी किडनी (Kidney) में दिक्कत का संकेत है. इसमें ब्लड शुगर या ब्लड प्रेशर का ऊपर जाना भी सही नहीं माना जाता है.

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्‍य जानकारी के लिए हैं इन्‍हें किसी प्रोफेशनल डॉक्‍टर की सलाह के रूप में न समझें। हम इसकी सत्‍यता व सटीकता का दावा नही करतें। कोई भी सवाला या परेशानी हो तो डॉक्‍टर की सलाह जरूर लें ।

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