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शोध में खुलासा : Corona से ठीक होने वालों में Vaccine का पहला डोज ही कारगर

नई दिल्‍ली । कोरोना (Corona) से बचाव के लिए वैक्सीन (Vaccine) के दो डोज लेना सबसे जरूरी है लेकिन जिन लोगों को पहले संक्रमण हो चुका है, उनमें एक ही डोज एंटीबॉडी (Antibodies) का स्तर तेज कर दे रहा है। यह खुलासा भारतीय वैज्ञानिकों (Indian scientists) ने वैक्सीन लेने वालों पर किए अध्ययन में किया है।

एक बार वैक्सीन लगाने पर शरीर में 500 गुना बढ़ रही हैं एंटीबॉडी
इसके अनुसार कोरोना (Corona) से ठीक होने वालों में वैक्सीन (Vaccine) का पहला डोज 500 गुना तक एंटीबॉडी बढ़ा रही है। इन लोगों में दूसरे डोज का असर इतना देखने को नहीं मिला है।


नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटेग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्यकर्मियों पर अध्ययन के बाद ये दावा किया है। शोध में दो अलग- अलग समूह को वैक्सीन देने के बाद एंटीबॉडी के स्तर को जांचा गया था।

इनमें से एक समूह वह था, जिनमें स्वास्थ्य कर्मचारी पहले कोरोना संक्रमित हुए थे और बाद में उन्हें वैक्सीन दी गई। दोनों ही समूह के लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज दिए गए। सात, 14 और 28 दिन के अंतराल में एंटीबॉडी की जांच करने के बाद यह जानकारी मिली है।

ठीक इसी तरह का अमेरिकी वैज्ञानिकों का शोध हाल ही में नेचर मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक, जिन लोगों को पहले से कोरोना हुआ, उन्हें एमआरएनए वैक्सीन का एक डोज देने के बाद ही एंटीबॉडी की मात्रा कई गुना बढ़ गई। इन लोगों में दूसरे डोज का असर नहीं मिला।

कोविशील्ड लगते ही एंटीबॉडी का स्तर बढ़ा
डॉ. अग्रवाल के अनुसार टीका देने से पहले इन सभी लोगों में एंटीबॉडी का स्तर पता किया तो 42 (32.5 फीसदी) में पहचान हुई। इन लोगों को जब कोविशील्ड वैक्सीन (Covshield vaccine) का पहला डोज दिया गया तो 500 फीसदी तक एंटीबॉडी बूस्ट हुईं लेकिन जब दूसरा डोज दिया तो उसमें कोई असर दिखाई नहीं दिया।

अध्ययन में तीन कर्मचारी ऐसे भी मिले जिन्हें वैक्सीन का पहला डोज देने के बाद एंटीबॉडी नहीं बनी और न ही वह, पहले कभी कोरोना के संपर्क में आने से संक्रमित हुए थे।

ग्यारह अस्पतालों के 135 स्वास्थ्यकर्मियों पर शोध
आईजीआईबी के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए दुनिया के अधिकतर देशों में एस्ट्राजेनेका का टीका दिया जा रहा है।

भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसे बना रहा है, जिसे हम कोविशील्ड के नाम से जानते हैं। भारत में भी लगभग 90 फीसदी तक लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही मिल रही है। इसी वैक्सीन पर अध्ययन 11 अस्पतालों के 135 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर वैक्सीन का असर पता करना शुरू किया।

दूसरा डोज देने से बचा जा सकता है
अध्ययन में मिले परिणामों के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि वैक्सीन देने से पहले अगर एंटीबॉडी की जांच हो तो पहले से संक्रमित व्यक्ति को टीके की दो डोज देने से बचा जा सकता है। देश में टीकाकरण अभियान के तहत 7.59 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लग चुका है। एक करोड़ लोगों ने दो डोज ले लिए हैं।

वैज्ञानिकों की मानें तो 7.59 करोड़ में से कम से कम एक करोड़ लोगों को दोबारा डोज देने से बचा जा सकता है, क्योंकि उनमें पहले से ही एंटीबॉडी विकसित हैं।

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