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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने धर्मांतरण के मुद्दे पर दिया बड़ा बयान, बोले-अब हमको जागना है

रायपुर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने धर्मांतरण के मुद्दे (issues of conversion) पर इशारों-इशारों में बयान दिया है। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) दौरे पर पहुंचे मोहन भागवत ने धर्मांतरण के मुद्दे पर इशारों-इशारों में कहा, ‘हमारे भोलेपन का लाभ लेकर ठगने वाले लोगों से सावधान रहना है। ठगने वाले बहुत लोग हैं।’ भागवत ने धर्मांतरण शब्द का इस्तेमाल किए बिना कहा कि अब हमको जागना है। अपने देश, धर्म के लिए पक्का रहना है। हमें अपने संस्कारों और देवी-देवताओं को नहीं भूलना है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को जनजातियों के गौरव को भारत का गौरव बताया और इस बात पर जोर दिया कि देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए लोगों को जनजातियों को समझना चाहिए और उनके साथ खड़ा होना चाहिए। भागवत का यह बयान तब आया है जब राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस शासन में धर्मांतरण की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में भागवत ने दिया संबोधन
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर एक समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने जनजातियों से उन लोगों के खिलाफ ताकतवर रहने का आह्वान किया जो उनके भोलेपन का फायदा उठाकर उन्हें ठगने की कोशिश करते हैं। वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से यहां के रंजीता स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए।


इस अवसर पर आरएसएस प्रमुख ने भाजपा के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की एक प्रतिमा का अनावरण किया। जूदेव ने जशपुर क्षेत्र में जनजातियों को ईसाई धर्म से वापस लाने के लिए ‘घर वापसी’ अभियान चलाया था। वर्ष 2013 में दिलीप सिंह जूदेव का निधन हुआ था। भागवत ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्मदिन (15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है) और दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण जुड़ा हुआ है या संयोग से ऐसा हुआ है।

बहादुर और निडर थे जूदेव: आरएसएस प्रमुख
उन्होंने कहा कि जूदेव बहादुर और निडर थे और वे नाम, यश, संपत्ति और शक्ति होते हुए भी विनम्र बने रहे, वह हमेशा जनजातियों के गौरव के लिए खड़े रहे। उन्होंने कहा कि जूदेव के मन में देश, धर्म, संस्कृति और देशवासियों के प्रति बहुत प्रेम था। उन्होंने कहा कि ‘भगवान बिरसा मुंडा’ को भी इसी प्रेम ने हम सब लोगों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘जनजातीय गौरव क्या है? फिर कहा कि हमारे पूर्वजों की परंपरा हमारा गौरव है, क्योंकि वह हमें बताती है कि हमको कैसे जीना है। वह हमको वीरता, पवित्रता और आत्मीयता की एक विरासत देती है। जीवन के संघर्ष में हम लड़ सकें, ऐसी हिम्मत देती है।”

भागवत ने कहा कि धर्म के मामले में तो जनजातीय गौरव ही भारत का धर्म गौरव है। उन्होंने कहा कि भारत का धर्म खेतों और जंगलों में उपजा है, भारत के सभी धर्म भारत को कृषकों और वनवासियों ने दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा धर्म सभी में पवित्रता देखने के अलावा नदी, नाले, पशु, पक्षी सभी में भगवान को देखता है, इसलिए यह पर्यावरण का मित्र है, प्रेमी है। यह अपनी उन्नति के लिए पर्यावरण को खराब नहीं करता।

उन्होंने कहा कि जंगलों में रहने वाले और पर्यावरण को देवी-देवता मानने वाले हमारे बंधुओं ने ही हमे यह सिखाया है, इसलिए जनजातीय धर्म केवल जनजातियों का नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत का है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जनजातीय समाज की रक्षा, उनके गौरव की रक्षा, उनके गौरव की वृद्धि के लिए उनके साथ खड़ा होना चाहिए जैसे दिलीप सिंह ​जूदेव जी खड़े रहे।

उन्होंने कहा कि भारतीयों के पास जो गौरव है, उसकी सारी दुनिया को जरूरत है। लेकिन इसके लिए भारत वर्ष को इस गौरव को धारण करके खड़े होना है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम उस गौरव को पहचानें और उसे न भूलें, हम अपने 16 संस्कारों को न भूलें। हम अपने देवी देवताओं अपने पूर्वजों को और उनके पराक्रमों को न भूलें। क्योंकि भूल जाएंगे तब बड़े-बड़े पराक्रमी भी निठल्ले हो जाते हैं।”

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