
नई दिल्ली । RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को कहा कि मणिपुर (Manipur) में सरकार अवश्य होनी चाहिए और सरकार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विनाश में 2 मिनट का समय लगता है, लेकिन निर्माण में दो साल लग जाते हैं। मणिपुर में मई 2023 से कुकी-जो और मेइती समुदायों (Kuki-Zo and Meitei communities) के बीच संघर्ष में कम से कम 260 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। फरवरी में एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मणिपुर में अब राष्ट्रपति शासन लागू है।
भागवत ने यहां एक संवाद कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘सरकार और पार्टियों के मामलों में मैं बहुत हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन मणिपुर में सरकार अवश्य होनी चाहिए और मेरी जानकारी के अनुसार, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘विनाश होने में दो मिनट का समय लगता है, लेकिन निर्माण में दो साल लगते हैं… और इन कठिन परिस्थितियों में भी, मणिपुर के लोगों को अलग-अलग आधारों पर बिखरने से बचाने के लिए निरंतर प्रयास किए गए… हम निश्चित रूप से सभी को साथ लेकर चलेंगे। किसी की पहचान आदि को नुकसान पहुंचाए बिना, भौतिक मामलों में शांति जल्द स्थापित हो जायेगी, लेकिन आंतरिक शांति आने में कुछ समय लगेगा। हमें इसका ज्ञान है।’
इससे पहले, इम्फाल में गणमान्य व्यक्तियों की एक विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि ‘आरएसएस पूरे देश में दैनिक चर्चा का विषय बना हुआ है और अकसर पूर्वाग्रह और दुष्प्रचार सामने आता है।’
उन्होंने संघ के कार्य को ‘अतुलनीय’ बताते हुए कहा, ‘आरएसएस की तुलना किसी संगठन से नहीं की जा सकती, जैसे समुद्र, आकाश और महासागर की कोई तुलना नहीं होती।’ भागवत ने मणिपुर की मजबूत सांस्कृतिक परंपराओं की भी सराहना की, जिसमें विशेष मौकों पर पारंपरिक पोशाक पहनना और स्थानीय भाषाओं का उपयोग शामिल है। उन्होंने इन्हें और मजबूत बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
राज्य की मौजूदा स्थिति पर भागवत ने कहा कि स्थिरता बहाल करने के लिए सामुदायिक व सामाजिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘विनाश में कुछ ही मिनट लगते हैं, लेकिन निर्माण में वर्षों का समय लगता है, खासकर जब इसे समावेशी रूप से और किसी को नुकसान पहुंचाए बिना किया जाए। शांति कायम करने में धैर्य, सामूहिक प्रयास और सामाजिक अनुशासन की आवश्यकता होती है।’
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