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डॉलर के मुकाबले आल टाइम निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, बढ़ेगी महंगाई की मार

नई दिल्ली। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार (interbank forex exchange market) में कई महीने से डॉलर (Dollar) की दहाड़ जारी है। डॉलर के मुकाबले रुपया गिरावट (Rupee depreciates against dollar) के नए रिकॉर्ड बनाने में लगा है। मंगलवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 48 पैसे औंधे मुंह गिरकर 78.85 प्रति डॉलर के नए सर्वकालिक निचले स्तर (new all-time low) तक लुढ़क गया। इसका असर आम आदमी की जेब पर सीधा पड़ेगा।

80 रुपये तक फिसलने का अनुमान
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का कारण विदेशी पूंजी की बाजार से सतत निकासी और कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी है। तमाम जानकारों ने इसके 80 रुपये तक फिसलने का अनुमान लगाया है। कारोबार के दौरान रुपया 78.8550 प्रति डॉलर के नए ऐतिहासिक निचले स्तर तक गया।


महंगाई की मार में तेजी आएगी
अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा।

इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी। वहीं जानकारों का कहना है कि लंबी अवधि में रुपये की कमजोरी से निर्यात में इजाफा देखने को मिलेगा।

छह कारोबारी दिनों में रुपये में 100 पैसे की गिरावट
एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक विभाग के उपाध्यक्ष, जतिन त्रिवेदी ने कहा कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली और फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख के कारण पिछले छह कारोबारी दिनों में रुपये में 100 पैसे की गिरावट आई है।

रुपये की गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने मुद्रा बाजार में दखल देता रहा है। अप्रैल में आरबीआई ने स्पॉट मार्केट में 2 अरब डॉलर बेचे। इससे साफ पता चलता है कि रुपये में किस कदर कमजोरी है। हाल ही में रिजर्व बैंक गवर्नर ने भी कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये की कमजोरी को संभालने के लिए हर कदम उठाएगा।

गिरावट की दो प्रमुख वजह
भारतीय रुपये में गिरावट की दो वजहें हैं। पहला, विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। दूसरा, डॉलर की लगातार बढ़ती खरीदारी। जब विदेशी अपना निवेश वापस करते हैं, उन्हें रुपये में भुगतान मिलता है, जो बाद में डॉलर में परिवर्तित होता है। इसके चलते डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और रुपये की मांग कमजोर हो रही है।

कमजोर घरेलू शेयर बाजार और कच्चे तेल में तेजी के बीच रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया।
-अनुज चौधरी, शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा

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