डेस्क: रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की भूमिका को लेकर एक नई और चौंकाने वाली कहानी सामने आई है. दो चीनी नागरिक, जो अब यूक्रेन की गिरफ्त में है, ने दावा किया है कि उन्हें रूस की सेना में जबरन भर्ती किया गया और वहां हालात इतने सख्त थे कि रात में बाथरूम जाने के लिए भी बंदूकधारी गार्ड साथ चलता था.
कीव में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इन दोनों ने बताया कि उसे इलाज या रेस्क्यू से जुड़ी नौकरी के नाम पर रूस बुलाया गया, लेकिन वहां से सीधे जंग के मैदान में उतार दिया गया. यूक्रेन की सेना ने बताया कि 34 वर्षीय वांग गुआंगजुन और 27 वर्षीय झांग रेनबाओ को डोनेट्स्क में पकड़ा गया. दोनों फिलहाल युद्धबंदी हैं, इसलिए यह साफ नहीं है कि वे पूरी तरह आज़ादी से बोल पाए या नहीं. हालांकि उन्होंने मीडिया के ज़रिए चीन से अपील की है कि वह उनके लिए रिहाई की कोशिश करे.
वांग ने बताया कि उन्हें जनवरी 2025 में मॉस्को एक रिहैबिलिटेशन थैरेपिस्ट की नौकरी के नाम पर बुलाया गया था, लेकिन कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद सीधे डोनेट्स्क भेज दिया गया. वहां उन्हें 7वीं यूनिट के साथ तैनात किया गया, जो शायद रूस की 7वीं मोटराइज्ड राइफल ब्रिगेड है. उन्होंने बताया कि भाषा की दिक्कत और सख्त निगरानी के कारण वह भाग नहीं पाए.
झांग ने कहा कि वह दिसंबर में पर्यटक के रूप में रूस गए थे और नौकरी की तलाश कर रहे थे. उन्हें भी एक छोटे दल के साथ डोनेट्स्क भेजा गया और फ्रंटलाइन पर तैनात किया गया. दोनों ने दावा किया कि उन्हें करीब 2.8 लाख रूबल (करीब 3,400 डॉलर) मासिक सैलरी का वादा किया गया था, लेकिन ना सैलरी मिली और ना ही काम के बारे में कोई साफ जानकारी दी गई.
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