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हरियाणा की रेत, त्रिपुरा के बांस…नई संसद भवन को बनाने में देश के हर राज्य का योगदान

नई दिल्‍ली (New Delhi) । लोकतंत्र के नए मंदिर में देश के हर हिस्से की छटा देखने को मिलेगी। सेंट्रल विस्टा वेबसाइट के अनुसार संसद भवन (Parliament House) को सुंदर बनाने के लिए देश के हर राज्य (State) का कुछ न कुछ योगदान है। हरियाणा (Haryana) की रेत और त्रिपुरा (Tripura) के बांस का इस्तेमाल किया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है।

उत्तर प्रदेश: मशीन से तैयार सीमेंट की ईंट उत्तर प्रदेश से आई है। इसके अलावा संसद भवन परिसर में इस्तेमाल लकड़ियों पर की गई नक्काशी में नोएडा का योगदान है। संसद परिसर में बिछी दरी में मिर्जापुर की झलक देखने को मिलेगी।


राजस्थान: नए संसद भवन में लगे लाल और सफेद पत्थर राजस्थान के सारमथुरा से आए हैं। कहा जाता है कि लाल किले और हुमायूं के मकबरे पर लगा पत्थर भी यहीं से मंगाया गया था। उदयपुर से केसरिया हरा पत्थर और अजमेर से ग्रेनाइट और अंबाजी से सफेद माबर्ल आया है।

महाराष्ट्र: संसद भवन की खूबसूरती में चार चांद लगा रही टीक की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई है। संसद भवन परिसर में हजारों किलोग्राम लकड़ी का प्रयोग किया गया है। संसद भवन में लगे अधिकतर फर्नीचर मुंबई से तैयार होकर आए हैं।

दमन-दीयू: लोकसभा और राज्यसभा की छत में लगी फॉल्स सीलिंग के लिए स्टील दमन और दीयू से आया है। इसी तरह अशोक स्तंत को बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री औरंगाबाद और जयपुर से लाई गई है।

मध्य प्रदेश: लोकसभा और राज्यसभा की दीवारों पर लगा विशाल अशोक चक्र का चिन्ह और संसद की बाहरी दीवारों पर बनीं कलाकृतियों को इंदौर से लाया गया है। संसद की दीवारों और भीतर के परिसर को सुंदर बनाने के लिए कारीगरों ने कड़ी मेहनत की है।

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