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राहुल गांधी के बयान पर सावरकर के पोते का पलटवार, नेहरू पर लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) के द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) को लेकर दिए गए बयान के बाद महाराष्ट्र की सियासत (Maharashtra politics hot) गरमा गई है। राहुल के दावों का वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर (Ranjit Savarkar) ने खंडन करते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit jawaharlal nehru) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि पंडित नेहरू एक महिला के लिए भारत का विभाजन करने के लिए सहमत हुए। इतना ही नहीं, रंजीत सावरकर ने ये भी आरोप लगाए हैं कि नेहरू ने भारत की गुप्त जानकारी 12 वर्षों तक अंग्रेजों को दी थी। उन्होंने राहुल से इन आरोपों का जवाब देने की अपील की है।

स्वतंत्रता सेनानी सावरकर के पोते रंजीत सावरकर शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंडित नेहरू पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ”भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महिला के लिए भारत के विभाजन के लिए सहमत हुए। 12 साल तक भारत की सारी गुप्त जानकारी अंग्रेजों को दी गई। मैं मांग करता हूं कि पंडित नेहरू और एडविना के बीच पत्राचार अंग्रेजों से मांगे जाएं और सार्वजनिक किया जाए।” उन्होंने आगे कहा कि पूरे देश को पता चलेगा कि जिस नेता को हम चाचा नेहरू कहते हैं, उन्होंने कैसे देश को धोखा दिया।


नेहरू पर आरोप लगाते हुए सावरकर ने आगे कहा कि पंडित नेहरू 9 मई से 12 मई 1947 के बीच अकेले शिमला गए थे। वह चार दिनों तक अपने परिवार के साथ वहां रहे। एडविना के ब्रिटिश सरकार को लिखे पत्र में उल्लेख है कि मैंने पंडित नेहरू को अपने अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। चूंकि वे बहुत व्यस्त हैं, इसलिए वे ‘नर्वस ब्रेक डाउन’ के करीब पहुंच रहे हैं। उन्होंने मेरे साथ चार दिन बिताए। वह और मैं अच्छे दोस्त बन गए। यह दोस्ती लंबे समय तक चलेगी। सावरकर ने यह भी कहा कि एडविना ने कहा कि पंडित नेहरू मेरे काबू में आ गए हैं।

सावरकर ने कहा कि यह पंडित नेहरू थे जिन्होंने माउंटबेटन को वायसराय नियुक्त किया था। उन्होंने कहा, ”बलवंत सिंह ने कहा था कि वे वायसराय होने के कारण पाकिस्तान में सेना नहीं भेज सकते। 20 हजार भारतीय लड़कियों का अपहरण कर लिया गया और वे पाकिस्तान में थीं। माउंटबेटन ने लिखा है कि नरसंहार को देखकर भारतीय नेताओं को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, इसलिए मैंने नियंत्रण कर लिया। माउंटबेटन ने लिखा है कि माउंटबेटन के भारत छोड़ने के बाद नेहरू ने उन्हें 12 साल तक हर दिन अपनी रिपोर्ट भेजी। यह खुफिया एजेंसियों की बड़ी नाकामी है।”

उन्होंने आगे यह कहते हुए एक गंभीर आरोप लगाया कि नेहरू को एक हनीट्रैप में फंसाया गया और उसमें वह फंस गए। यह अपराध है। इससे पहले भी कई लोग ऐसे पकड़े जा चुके हैं। सजा भी दी गई थी। नेहरू की बात कौन करेगा? राहुल गांधी को 12 साल के हनीट्रैप का जवाब देना चाहिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सावरकर ने यह भी मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मामले की पूरी जांच करानी चाहिए।

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