नई दिल्ली। भारतीय सीमा पर अब सुरक्षा और मजबूत होगी। इसके लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) नियंत्रण रेखा से सटे अपने स्थानों पर स्टील के ढांचे स्थापित करेगा। बीएसएफ ने पाकिस्तान से सटे संवेदनशील सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करने तथा जवानों को रहने की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक प्रमुख परियोजना शुरू की है। सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि बीएसएफ अपने करीब 115 एलडीएल को स्टील के ढांचों में तब्दील करेगा, जिसपर करीब 35 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
जवान फिलहाल लोहे की चादर से बने ढांचों में रहते हैं
बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने कश्मीर में हाल में एफडीएल का दौरा किया था और अभियानगत तैयारियों की समीक्षा की थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। बता दें कि करीब आठ हजार से 16 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित इन स्थानों पर जवान फिलहाल लोहे की चादर से बने ढांचों में रहते हैं और वहां उनका राशन और हथियार भी होते हैं, जहां उन्हें हाड़ जमा देने वाली ठंड का सामना करना पड़ता है।
वहीं, इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रहने के लिए स्टील के नए ढांचे निविदा प्रक्रिया के बाद खरीदे जाएंगे। मौजूदा अवसंरचना को स्टील के ढांचों से बदला जाएगा क्योंकि ये मजबूत होते हैं और इनमें तापमान के शून्य से नीचे जाने पर दरारें भी नहीं पड़ती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘नहाने की जगह, शौचालय, रसोई और रहने के स्थान को स्टील से बनाया जाएगा और इन्हें 115 एफडीएल पर स्थापित किया जाएगा।’
दरअसल, बीएसएफ के जवान जम्मू कश्मीर में पड़ने वाली कुल 772 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा के 430 किलोमीटर के हिस्से की या तो खुद या सेना के साथ मिलकर रखवाली करते हैं। अर्धसैनिक बल के अग्रिम सुरक्षा स्थल (FDL) नियंत्रण रेखा पर बेहद बर्फीले स्थानों या घने जंगलों में स्थित हैं और ये भारत की घुसपैठ रोधी ग्रिड का हिस्सा हैं। इस ग्रिड का काम गैर-सीमांकित सीमा से होने वाली आतंकी घुसपैठ को नाकाम करना है। इस मामले में एक अधिकारी ने कहा कि पहले चरण की कामयाबी के बाद और स्थानों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी
वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्णय को मंजूरी दे दी है। कश्मीर में घुसपैठ रोधी ग्रिड में तैनात एक अधिकारी ने कहा कि इससे बीएसएफ के जवानों को मौजूदा समय की तुलना में बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि इन एफडीएल में रहना और सीमाओं की सुरक्षा करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि सबसे बड़ा दुश्मन मौसम है और इन सभी परेशानियों का कोई ठोस हल नहीं है।