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सामना के जरिए शिवसेना का भाजपा पर आरोप, कहा- राज्यपाल को कढ़ी पत्ते की…

मुंबई। शिवसेना ने मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर तंज कसा। लिखा कि मोदी सरकार उनके यहां तोड़फोड़ नहीं कर सकती। एक मुहावरे का जिक्र किया कि अगर दिल्ली दूर है तो महाराष्ट्र तो बहुत ही दूर है। पुडुचेरी में सरकार गिराने का आरोप लगाते हुए शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि पुडुचेरी में उपराज्यपाल रहीं किरण बेदी ने नारायणसामी सरकार को ठीक से काम नहीं करने दिया। भाजपा ने एक छोटा राज्य भी कांग्रेस के हाथ से खींच लिया। शिवसेना ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा अब मार्च-अप्रैल में महाराष्ट्र में ‘ऑपरेशन लोटस’ की शुरुआत करेगी।

भाजपा के लिए महाराष्ट्र दूर की बात
सामना ने शिवसेना ने लिखा, ‘मध्यप्रदेश की सरकार गिराई, तब भी ‘अगला वार महाराष्ट्र पर’ की घोषणा की गई थी। उसके बाद ‘बिहार का परिणाम आने दो, फिर देखो महाराष्ट्र में कैसे परिवर्तन लाते हैं’, जैसी बातें की गई। अब पुडुचेरी की बात शुरू है। लेकिन जैसे ‘दिल्ली बहुत दूर है’ उसी प्रकार ‘महाराष्ट्र तो बहुत ही दूर है।’

शिवसेना ने आगे कहा, सरकार को समर्थन देनेवाले विधायकों को तोड़ने के लिए ED, CBI और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का इस्तेमाल किया गया। ऐसा आरोप कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने लगाया है। महाराष्ट्र में भी यही शुरू होने के पीछे पुडुचेरी में जो कुछ हुआ, उस पर विश्वास रखना ही होगा। महाराष्ट्र में शिवसेना है, इसलिए कोई अनावश्यक उठा-पटक के चक्कर में न पड़े। पुडुचेरी में सरकार गिराने के लिए जो खटपट और भागदौड़ की गई, वो सारा प्रयोग महाराष्ट्र में किया जा चुका है।

कढ़ी पत्ते की तरह राज्यपाल का इस्तेमाल हुआ
शिवसेना ने लिखा, राज्यपाल महाराष्ट्र के हों या पुडुचेरी के, उन्हें दिल्ली का आदेश मानते हुए ही उठापटक करनी पड़ती है। राज्यपाल का इस्तेमाल कढ़ी पत्ते जैसा (काम निकल जाने के बाद बाहर कर देना) किया जाता है। किरण बेदी को भी उपयोग करके फेंक दिया गया। महाराष्ट्र में छौंक लगाने वाले ‘भाजीपालों’ को ये बात समझ लेनी चाहिए।

पुडुचेरी में जो हुआ वह राजनीतिक वेश्यावृत्ति
कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए शिवसेना ने लिखा, पुडुचेरी में भी अलग क्या हुआ? वहां फिलहाल जो कुछ हो रहा है, यह राजनैतिक वेश्यावृत्ति है। पूर्व मुख्यमंत्री नारायणसामी ने ऐसा ही दुख जताया है, लेकिन इस 70 सालों में इस काम में कोई अलिप्त रहा है क्या?

झारखंड को अस्थिर करने का प्रयास
सामना में कहा गया, एक समय दक्षिण में कांग्रेस का बोलबाला था। आज पुडुचेरी जैसा छोटा-सा राज्य भी उनके हाथ में नहीं रहा। देश में अब पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बची है। महाराष्ट्र और झारखंड में अघाड़ी सरकार में कांग्रेस शामिल है।
झारखंड को भी अस्थिर किया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पीछे केंद्रीय जांच एजेंसी को लगा दिया गया है। यह माहौल लोकतंत्र के लिए घातक है। नीति और विचारधारा को एक तरफ करके सत्ता पाने के लिए जो राजनीति की जा रही है, वह चिंताजनक है। पश्चिम बंगाल से पुडुचेरी तक और महाराष्ट्र से जम्मू-कश्मीर तक दलबदलुओं के लिए लाल कालीन बिछाना और राजनीतिक मोहरों का खेल किसी को शोभा नहीं देता।

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