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मटर-आलू, लहसून की बुवाई जोरों पर, लेकिन खेतों में पानी भराया तो फसल होगी खराब

October 26, 2025

  • नुकसानी का डर…हल्की बारिश ने किसानों को डाला चिंता में

इन्दौर। खेती-किसानी पर मौसम का असर सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला होता है। कल शाम से मौसम में एक बार फिर करवट ली है और आगामी दो दिनों तक आसमान में बादल रहने और हल्की बारिश बूंदा बांदी के आसार बताए जा रहे हैं इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। रबी सीजन की फसलों को नुकसानी की संभावनाएं बनी हुई हैं, वहीं बोवनी में देरी के आसार भी बन रहे है।

इंदौर जिले में 240000 हेक्टर कृषि भूमि पर रबी सीजन की बुवाई का शुरुआती अनुमान है। इसमें भी शुरुआत में मटर, आलू ,लहसुन की फसल का रकबा 50 से 70 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि का रहता है, पर अचानक मौसम में बदलाव आ जाने से किसान चिंता में हैं, खासकर महू , राऊ, पिगडम्बर बेटमा इन स्थानों पर किसान बड़ी संख्या में मटर, आलू और लहसून की बुवाई करते हैं। इसके साथ में देपालपुर, गोकलपुर, सांवेर के किसान भी अपने-अपने अपनी कृषि भूमि पर सीमित मात्रा में इन फसलों को लगाते हैं।

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गेहूं और चने की बुवाई का समय भी शुरू हो गया है। ऐसे में मौसम अचानक बदलाव किसानों को बुवाई में देरी तो करा ही रहा है, जिन किसानों ने अभी बोवनी के एक सप्ताह का या इससे कम समय हुआ है, उन्हें बीज के सडऩे की आशंका बन रही है अगर बारिश तेज होती है खेतों में पानी जमा हो जाता है तो दिक्कतें और ज्यादा रहेगी।

कृषि विभाग की सलाह.. थोड़ा इंतजार करे फिर बुवाई
इस विपरीत मौसम में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को कहा है कि वह फिलहाल आगामी दो दिनों तक खेतों में किसी प्रकार की बुवाई न करे । जल्दबाजी में नुकसानी होगी और अभी बुवाई का पर्याप्त समय भी नहीं है।

जल्दी इसलिए.. वाटर लेवल की चिंता
मटर, आलू लगाने वाले किसान जल्दबाजी इसलिए करते हैं कि उन्हें 60से 70 दिन के बाद यानी जनवरी के पहले सप्ताह तक दूसरी फसल गेहूं या चना लगाना रहता है, वह देरी करते हैं तो उन्हें अगली फसल में दिक्कत होगी, साथ हीं ट्यूबवेल का वाटर लेवल भी जनवरी के महीने से कम होने लगता है, इसलिए किसानों को बुवाई की जल्दबाजी करना उनकी मजबूरी हो जाता है

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