
भोपाल। कोरोना काल में बेरोजगार हो गए स्ट्रीट वेंडर्स को रोजगार शुरू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने पीएम स्व-निधि स्ट्रीट वेंडर्स और ग्रामीण पथ विक्रेता योजना के तहत बैंकों से कर्ज दिलवाया था। लेकिन प्रदेश के एक तिहाई से अधिक वेंडर्स ने बैंकों को कर्ज की अदायगी बंद कर दी है। इनके खाते एनपीए हो चुके हैं। अब तक स्ट्रीट वेंडर्स पर 294 करोड़ का कर्ज बकाया है। जिसे वसूलना बैंकों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। गौरतलब है कि पीएम स्व-निधि स्ट्रीट वेंडर्स और ग्रामीण पथ विक्रेता योजनाओं में फेरी लगाने वालों को 10 हजार रुपए के लोन दिए गए थे। ताकि वे कोरोना में हुए नुकसान के बाद फिर से अपना काम शुरू कर सकें। ये असुरक्षित लोन थे। केंद्र और राज्य सरकार ने न तो इसकी गारंटी दी थी और न ही ब्याज की अदायगी पर कोई सब्सिडी का प्रावधान किया। हालांकि पीएम स्ट्रीट वेंडर्स योजना लागू होने के बाद मप्र योजना में सबसे अधिक कर्ज देने वाला राज्य था। लेकिन अब वेंडर्स ने कर्ज की अदायगी बंद कर दी है।
1.31 लाख ने 90 करोड़ रुपए का कर्ज डुबोया
उल्लेखनीय है कि पीएम स्व-निधि स्ट्रीट वेंडर्स और इसकी तर्ज पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई ग्रामीण पथ विक्रेता योजना के अंतर्गत पूरे प्रदेश में 7.71 लाख लोगों को कर्ज दिए गए। पीएम स्ट्रीट वेंडर्स में 4.61 लाख और ग्रामीण पथ विक्रेता योजना में 3.10 लाख को 10-10 हजार रुपए के कर्ज को स्वीकृति मिली। इन योजनाओं में 771 करोड़ का कर्ज दिया गया। इसमें 294 करोड़ का कर्ज अब तक स्ट्रीट वेंडर्स पर बकाया है। ग्रामीण और शहरी दोनों जगह 1.31 लाख स्ट्रीट वेंडर्स के कर्ज बैंकों ने एनपीए में डाल दिए हैं। इन पर 90 करोड़ बकाया था। अब बैंकों को मुनाफे में से इस राशि का समायोजन करना पड़ेगा।
बैंक बढ़ते एनपीए से परेशान
एसएलबीसी के समन्यवक एसडी माहूरकर का कहना है कि बैंक बढ़ते एनपीए से परेशान हैं। हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मदद करे। बैंकों की ओर से राज्य सरकार के साथ होने वाली बैठक में औपचारिक अनुरोध किया जाएगा। उधर एसबीआई समेत कई बैंकों ने आशंका जताई है कि एक या दो माह में 200 करोड़ और एनपीए हो सकते हैं। राज्य सरकार की ओर से कर्ज वसूली के लिए कोई सहयोग का वादा नहीं किया गया।
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