
जबलपुर। देश में शिक्षा अब एक सेवा नहीं, बल्कि तेजी से एक महँगा व्यापार बनती जा रही है। स्कूलों के बाद सबसे बड़ा दबाव निजी कोचिंग इंडस्ट्री का है, जिसका आकार अब 58 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। यह उद्योग बिना पंजीकरण, बिना नियंत्रण और बिना किसी कानूनी दायरे के मनमानी करता आ रहा है।
सुरक्षा और गुणवत्ता पर सवाल
सांसद विवेक तन्खा ने कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा और नियमन की कमी को सबसे गंभीर मुद्दा बताया। देशभर में बड़ी संख्या में कोचिंग संस्थान बिना किसी सरकारी पंजीयन, सुरक्षा मानकों और निगरानी के संचालन कर रहे हैं। कई स्थानों पर आग लगने जैसी दुर्घटनाएँ, भीड़भाड़ वाले भवन, कमजोर अवसंरचना और मनोवैज्ञानिक दबाव के चलते छात्रों की परेशानी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक शुल्क वसूली, रिजल्ट का दबाव और गलत प्रचार जैसे मामलों पर न तो नियंत्रण है और न ही कोई जवाबदेही। यदि समय रहते सरकार ने सख्त नियम नहीं बनाए, तो शिक्षा पूरी तरह एक महँगा व्यापार बन जाएगी, जिससे मध्यम और गरीब छात्र और पिछड़ जाएंगे। उन्होंने सरकार से मांग की कि कोचिंग संस्थानों के लिए पंजीकरण, सुरक्षा मानकों, फीस नियंत्रण और पारदर्शिता के लिए कठोर कानून बनाया जाए, ताकि शिक्षा का भविष्य सुरक्षित रह सके और छात्रों का शोषण रुक सके।
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