
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मप्र प्रवास के दौरान ऐलान किया था कि नेता पुत्रों को पार्टी में फिलहाल टिकट नहीं मिलेगा। भाजपा के इस फैसले का पार्टी में साइड इफेक्ट शुरू हो गए हैं। भाजपा में राजनीतिक भविष्य अंधेरे में देख पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने भाजपा छोड़ दी है। अब वे अपने समर्थकों को निकाय चुनाव में उतारेंगे। यदि सिद्धार्थ इस चुनाव में सफल होते हैं तो वे दूसरे नेता पुत्र भी इसी राह पर चल सकते हैं। क्योंकि कई नेता पुत्र सालों से टिकट की लाइन में हैं। सिद्धार्थ मलैया पिछले चुनाव में दमोह सीट से टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट न देते हुए जयंत मलैया को ही टिकट दिया। बाद दलबदल करते हुए कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी भाजपा में शामिल हो गए। उपचुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट दिया, लेकिन वे चुनाव हार गए। हार के लिए भाजपा ने जयंत मलैया और सिद्धार्थ को नोटिस दिया। साथ ही सिद्धार्थ को समर्थकों समेत पार्टी से निलंबित कर दिया। एक साल तक बहाल नहीं किया तो सिद्धार्थ ने पार्टी छोडऩे का ऐलान कर समर्थकों को निकाय चुनाव में उतारने का ऐलान कर दिया है। यदि सिद्धार्थ निकाय चुनाव में कुछ हद तक अपने समर्थकों को जिताने में कामयाब रहते हैं तो वे दूसरे भाजपा नेताओं के पुत्रों के लिए नजीर बन सकते हैं। क्योंकि भाजपा एक दर्जन से ज्यादा दिग्गज नेताओं के बेटा-बेटी चुनाव लडऩे को आतुर दिखाई दे रहे हैं।
एक महीने के लिए दमोह छोड़ेंगे जयंत मलैया
सिद्धार्थ मलैया के भाजपा छोडऩे और समर्थकों को निकाय चुनाव में उतारने के ऐलान के बाद पूर्व मंत्री जयंत मलैया ने एक महीने तक दमोह जिला छोडऩे का ऐलान किया है। मलैया ने यह फैसला भाजपा का सिपाही होने के नाते लिया है। हालांकि निकाय चुनाव होने तक वे कहां रहेंगे, यह अभी तय नहीं किया है।
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