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इलेक्टॉनिक सामानों को लेकर चीन पर फिर बढ़ी भारत के लोगों की निर्भरता


नई दिल्‍ली । एक तरफ चीन (China) समय-समय पर भारत (India) को कमजोर करने के लिए अपनी चालें चलता रहता है, दूसरी ओर तमाम भारतीय हैं जो‍कि अपनी जरूरतों के लिए आज भी चीन को आर्थ‍िक रूप से (Economic to China) सामान खरीदकर सक्षम बना रहे हैं। चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात (Electronic Goods) दो साल के बाद फिर से बढ़ गया है. सरकार की घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेटिव स्कीम (Performance Linked Incentive Scheme) की सीरीज, महामारी, उच्च आयात शुल्क के बावजूद आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स आयात 2020-21 में बढ़कर 20.3 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 19.1 अरब डॉलर था. यह बढ़ोतरी मोबाइल फोन और उनके कॉम्पोंनेट्स का आयात बढ़ने कारण हुई है. चीन से आयात की जाने वाले सामान में इलेक्ट्रॉनिक्स की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है. इसके बाद भारी मशीनरी का नंबर आता है. गत वर्ष 13 अरब डॉलर मूल्य की भारी मशीनरी का आयात किया गया.


भारत द्वारा आयात को कम करने के लिए आक्रामक नीतियों को आगे बढ़ाने के बाद 2018-19 से इलेक्ट्रॉनिक्स आयात में गिरावट आई थी. जबकि 2020-21 में इलेक्ट्रॉनिक्स आयात पिछले वित्त वर्ष की तुलना में अधिक है. हालांकि, यह 2018-19 और उससे पहले के दो वर्षों में आयात से की तुलना में कम है. लेकिन इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कलपुर्जों के लिए चीन पर स्थानीय निर्माताओं की निर्भरता जारी है.

भारत ने ऐतिहासिक रूप से अपनी इलेक्ट्रॉनिक जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा से दशकों से आयात करता रहा है. पिछले पांच वर्षों में भारत ने एलसीडी और एलईडी टीवी, एसी में इस्तेमाल होने वाले कंप्रेसर और रेफ्रिजरेटर और स्मार्ट घड़ियों जैसे गैजेट्स जैसी वस्तुओं के आयात में धीरे-धीरे कटौती की है. हालांकि, देश इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेटेड सर्किट सिस्टम के साथ चीनी स्मार्टफोन और कलपुर्जों पर निर्भरता जारी है.

सरकार ने पिछले साल स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेटिव स्कीम शुरू की थी लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात बढ़ा है. इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष अमृत मनवानी ने कहा कि योजनाओं की घोषणा के बावजूद बड़े पैमाने पर विनिर्माण शुरू होना बाकी है. उन्होंने कहा, “घरेलू बाजार में मांग भी बढ़ गई है. जब तक स्थानीय कंपनियां अपनी कैपिसिटी बिल्डअप हीं कर लेतीं, तब तक आयात में वृद्धि होगी.”

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