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भारत में तेजी से बढ़ा अमीर-गरीब का फासला, एक फीसदी धनवानों के पास है देश की 40% दौलत

नई दिल्‍ली (New Delhi) । देश में अमीरों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है और इसका सबूत है दुनिया के टॉप धनवानों (rich) की लिस्ट में भारतीय(Indian) का बढ़ता वर्चस्व. देश की दौलत को लेकर एक कड़वी सच्चाई ये भी है कि कहा जाता है कि अमीर और अमीर हो रहे हैं जबकि गरीब और गरीब (poor) हो रहे हैं. अब एक ऐसी रिपोर्ट आई है जिससे ये बात और भी साफ तौर पर दिखाई दे रही है कि यहां के दौलतमंदों के पास देश की ज्यादातर संपत्ति आ चुकी है यानी अमीर और गरीब के बीच की खाई का अंतर और गहरा हो गया है.

बढ़ रहा अमीर-गरीब के बीच का फासला
आज एक नई स्टडी के मुताबिक देश की 40 फीसदी से ज्यादा दौलत का हक देश के एक फीसदी सबसे ज्यादा अमीरों के पास है. वहीं देश की 50 फीसदी जनसंख्या के पास कुल मिलाकर देश की केवल 3 फीसदी वैल्थ ही बरकरार है.

ऑक्सफेम इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में सामने रखे गए तथ्य
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की सालाना बैठक के दौरान ऑक्सफेम इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक ये बताया गया है कि अगर भारत के 10 सबसे धनवान लोगों पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाए तो ये पूरा पैसा इतना हो जाएगा जिससे देश के बच्चों को वापस स्कूल भेजा जा सकेगा.


गौतम अडानी के ऊपर टैक्स का है उल्लेख
ऑक्सफेम की रिपोर्ट के मुताबिक अगर देश के सबसे अमीर शख्स अरबपति गौतम अडानी के अनरियलाइज्ड गेन्स पर वन-ऑफ टैक्स लगाया जाए तो ये करीब 1.79 लाख करोड़ रुपये बैठेगा. इतनी रकम से देश में एक साल के लिए पचास लाख प्राइमरी टीचर्स से ज्यादा को नौकरी पर रखा जा सकता है. ऑक्सफेम की रिपोर्ट जिसका शीर्षक ‘Survival of the Richest’ है, में आगे कहा गया है कि भारत में अमीरों की नेटवर्थ बढ़ती जा रही है और गरीबों के लिए साधारण जीवनयापन करना भी मुश्किल होता जा रहा है.

WEF की सालाना बैठक के पहले दिन जारी हुई रिपोर्ट
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक के पहले दिन सोमवार को यहां अपनी वार्षिक असमानता रिपोर्ट में अधिकार समूह ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने यह जानकारी दी. रिपोर्ट के मुताबिक भारत के दस सबसे धनी लोगों पर पांच फीसदी कर लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए पूरा धन मिल सकता है. इसमें कहा गया, “सिर्फ एक अरबपति गौतम अडानी को 2017-2021 के बीच मिले अवास्तविक लाभ पर एकमुश्त कर लगाकर 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं, जो भारतीय प्राथमिक विद्यालयों के 50 लाख से अधिक शिक्षकों को एक साल के लिए रोजगार देने को पर्याप्त है.”

देश के कई मंत्रालयों के बजट से ज्यादा है धनवानों के पास संपत्ति
‘सबसे धनी की उत्तरजीविता’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अगर भारत के अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर दो फीसदी की दर से एकमुश्त कर लगाया जाए, तो इससे देश में अगले तीन साल तक कुपोषित लोगों के पोषण के लिए 40,423 करोड़ रुपये की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, “देश के 10 सबसे अमीर अरबपतियों पर पांच फीसदी का एकमुश्त कर (1.37 लाख करोड़ रुपये) लगाने से मिली राशि 2022-23 के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (86,200 करोड़ रुपये) और आयुष मंत्रालय के बजट से 1.5 गुना अधिक है.”

रिपोर्ट में लैंगिक असमानता के मुद्दे पर कहा गया कि महिला श्रमिकों को एक पुरुष कर्मचारी द्वारा कमाए गए प्रत्येक एक रुपये के मुकाबले सिर्फ 63 पैसे मिलते हैं. इसी तरह अनुसूचित जाति और ग्रामीण श्रमिकों को मिलने वाले पारिश्रमिक में भी अंतर है. अगड़े सामाजिक वर्ग को मिलने वाले पारिश्रमिक के मुकाबले अनुसूचित जाति को 55 फीसदी और ग्रामीण श्रमिक को 50 फीसदी वेतन मिलता है.

ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ ने क्या कहा
ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, “देश के हाशिए पर पड़े लोगों – दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएं और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक एक दुष्चक्र से पीड़ित हैं, जो सबसे अमीर लोगों के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है.” उन्होंने कहा, “गरीब अधिक टैक्स का भुगतान कर रहे हैं, अमीरों की तुलना में जरूरी वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं. समय आ गया है कि अमीरों पर टैक्स लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अपने उचित हिस्से का भुगतान करें.” बेहर ने केंद्रीय वित्त मंत्री से धन कर और उत्तराधिकार कर जैसे प्रगतिशील कर उपायों को लागू करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि ये कर असमानता से निपटने में ऐतिहासिक रूप से प्रभावी साबित हुए हैं.

अरबपतियों की संपत्ति हरदिन 2.7 अरब डॉलर बढ़ रही
ऑक्सफैम ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सबसे अमीर एक फीसदी ने पिछले दो सालों में दुनिया की बाकी आबादी की तुलना में लगभग दोगुनी संपत्ति हासिल की है. रिपोर्ट के मुताबिक अरबपतियों की संपत्ति हरदिन 2.7 अरब डॉलर बढ़ रही है, जबकि कम से कम 1.7 अरब श्रमिक अब उन देशों में रहते हैं, जहां महंगाई की दर वेतन में बढ़ोतरी से ज्यादा है. दुनिया में पिछले एक दशक के दौरान सबसे अमीर एक फीसदी ने सभी तरह की नई संपत्ति का लगभग आधा हिस्सा हासिल किया. पिछले 25 सालों में पहली बार अत्यधिक धन और अत्यधिक गरीबी एक साथ बढ़ी है.

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