नई दिल्ली। दिल्ली के जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने वाले अंबाह निवासी लोकेंद्र सक्सेना (Lokendra Saxena) का शव बुधवार को उनके निवास लाया गया। आज अंबाह में उनका अंतिम संस्कार किया गया। लोकेंद्र कोलड्रिंक की दुकान चलाते थे। बताया जा रहा है कि लोकेंद्र पिछले छह साल से सरकारी सिस्टम से परेशान थे। वह अपनी विधवा बहन रश्मि सक्सेना को अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उन्हें लगा कि उनके इस कदम से शासन-प्रशासन जागेगा।
भाई की मौत से टूट चुकी बहन रश्मि सक्सेना ने रोते हुए कहा कि अब वह नौकरी लेकर ही रहेंगी, नहीं तो वह भी आत्महत्या कर लेंगी। उन्होंने सवाल उठाया, क्या सरकार मुझ विधवा को भृत्य की नौकरी भी नहीं दे सकती है? लोकेंद्र सक्सेना बीते 06 साल में सरकारी सिस्टम से इतना परेशान हो गया कि उसे केवल खुद को खत्म करने से ही शासन प्रशासन के जागने का रास्ता दिखाई दिया। उसको लगा कि अगर वह खुद को ही खत्म कर के शासन को गहरी नींद से जगा सके।
इसी उम्मीद में लोकेंद्र रविवार रात को अपने घर से दिल्ली के लिए निकले थे।उन्हें आशा थी कि दिल्ली में बैठे अधिकारी उनकी बहन को न्याय दिलाकर नौकरी दिलवा देंगे। हालांकि जंतर मंतर पर अपनी मांगों को लेकर बैठे अन्य लोगों को देखकर उनकी आखिरी उम्मीद भी टूट गई।इसके बाद उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।पुलिस के अनुसार, यह घटना सोमवार को हुई।मृतक की विधवा बहन रश्मि सक्सेना भी उनके साथ दिल्ली जाने वाली थीं, लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण वह नहीं जा सकीं।सोमवार सुबह लोकेंद्र ने अपनी बहन को फोन कर दिल्ली पहुंचने की जानकारी दी थी।बहन ने उनसे पूछा था कि क्या हुआ।कुछ समय बाद दिल्ली पुलिस का फोन आया, जिसमें परिवार को लोकेंद्र सक्सेना की ओर से जंतर मंतर पर आत्महत्या करने की सूचना दी गई।
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