
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Ananda Bose) ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजभवन का नाम बदलकर ‘लोक भवन’ कर दिया. राज्यपाल ने इस बदलाव के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को औपचारिक पत्र भेजा था और स्वीकृति मिलने के बाद तत्काल प्रभाव से नया नाम लागू कर दिया गया. राज्यपाल के अनुसार यह कदम शासन को अधिक जनसुलभ बनाने की दिशा में उठाया गया है, ताकि आम लोग बिना किसी औपचारिकता के यहां अपनी समस्याएं लेकर आ सकें. उनके मुताबिक, यह भवन अब केवल शासन का प्रतीक नहीं, बल्कि जनता के लिए खुला संवाद स्थल बनेगा.
नाम परिवर्तन के बाद पूरे परिसर में बड़े स्तर पर बदलाव शुरू कर दिए गए हैं. राजभवन परिसर के पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण सभी मुख्य द्वारों से लेकर भवन के भीतर लगे बोर्डों तक पर पुराना नाम हटाकर ‘लोक भवन’ अंकित किया जा चुका है. यही नहीं, राजभवन से संबंधित सभी सरकारी वाहनों पर भी पुराने लिखित नाम को बदल दिया गया है. राज्यपाल का कहना है कि पहले जहां राजनीतिक प्रतिनिधि और आम नागरिक अपनी शिकायतें रखने आते थे. वहीं अब नए नाम के साथ यह स्थान और अधिक पारदर्शी तथा लोक-केंद्रित कार्यों के लिए समर्पित होगा.
इससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन की पहली मंजिल का नाम बदलकर सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर रखा. वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर राजभवन में एक विशेष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था. उस समय राज्यपाल ने राजभवन के सिंहासन कक्ष का नाम बदलकर सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर रख दिया था. सिंहासन कक्ष को ‘सरदार वल्लभभाई पटेल एकता कक्ष’ नाम दिया गया है. गवर्नर बोस ने एक बयान के माध्यम से कहा कि ‘सरदार पटेल की स्मृति और हमारे राष्ट्र को एकजुट करने के उनके अद्वितीय प्रयासों को श्रद्धांजलि के रूप में, राजभवन के पूर्व सिंहासन कक्ष को अब से सरदार वल्लभभाई पटेल एकता कक्ष के रूप में जाना जाएगा.
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