ब्‍लॉगर

विकास की मनभावन फाग, विपक्ष का विषैला राग

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चिंतन में स्वच्छता, ग्राम स्वराज, कृषि, पशुपालन, वंचितों का उत्थान आदि अनेक पहलू शामिल थे। वह देश को स्वतंत्र कराने के साथ ही साथ समरस और समृद्ध समाज का निर्माण भी चाहते थे, जिसमें किसी को भी जीवन की मूलभूत सुविधाओं का अभाव झेलना ना पड़े। जब वह स्वच्छता की बात करते थे, तब उसमें निरोग विषय भी शामिल हुआ करता था। नरेन्द्र मोदी सरकार ने हर घर नल से जल योजना शुरू की। यह अभियान सफल हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी रिपोर्ट में इस अभियान को बहुत लाभदायक बताया है। उसने कहा कि इससे लाखों लोगों की जान बचाना सम्भव हुआ है। पूर्वी उत्तर प्रदेश चालीस वर्षों तक मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित था। योगी आदित्यनाथ ने स्वच्छ जल अपूर्ति सुनिश्चित की। स्वच्छता अभियान चलाया। इससे महामारी को समाप्त किया गया।


बावजूद इसके विपक्ष का ताजा एलायंस कुआं पर राजनीति कर रहा है। कुछ दिन पहले इसके एक नेता ने राज्यसभा में काव्य पाठ किया। वह राजद के प्रवक्ता है। पढ़े-लिखे लोगों में शुमार हैं। उन्होंने किसी अन्य की कविता सुनाई- चूल्हा मिट्टी का/ मिट्टी तालाब की/ तालाब ठाकुर का/ भूख रोटी की/ रोटी बाजरे की/ बाजरा खेत का/ खेत ठाकुर का/ बैल ठाकुर का/ हल ठाकुर का/ हल की मूठ पर हथेली अपनी/ फसल ठाकुर की/ कुआं ठाकुर का/ पानी ठाकुर का/ खेत-खलिहान ठाकुर के/ गली-मोहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या?। इसके माध्यम से वह बिहार में अपनी पार्टी का जातीय समीकरण दुरुस्त करना चाहते थे।

इस काव्य पाठ से लालू यादव भाव विभोर हो गए। कहा मनोज झा विद्वान आदमी हैं। उन्होंने सही बात कही है। आनंद मोहन ने कहा यदि मैं राज्यसभा में होता तो मनोज झा की जीभ खींचकर सभापति के आसन की तरफ उछाल देता। बिडम्बना देखिए मनोज झा उस पार्टी के हैं जिसके संस्थापक ने भूराबाल साफ करो को पार्टी का उद्देश्य बताया था। उसकी राजनीति एमवाई समीकरण पर आधारित थी। आज बिहार में जो ब्राह्मण- ठाकुर हो रहा है, वह तो राजद के समीकरण में शामिल ही नहीं है। ये वही नेता हैं जो बिहार के मंत्री द्वारा श्री रामचरित मानस पर अमर्यादित टिप्पणी पर मौन थे। एलायंस के अन्य दलों द्वारा हिन्दू धर्म को धोखा बताने, सनातन के उन्मूलन पर भी ये नेता विचलित नहीं हुए थे। यही इनकी राजनीति है। ये कूपमंडूक ही बने रहना चाहते हैं। सरकार स्वच्छ जल पहुंचा रही है। ये नेता ठाकुर का कुआं कविता में अटके हैं। भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारें विकास की दिशा में बहुत आगे निकल गई हैं। यह गठबंधन कुआं, जाति और मजहब से ऊपर ही नहीं उठ रहा।

नमामि गंगे से प्रारंभ हुई यह यात्रा सिंचाई और पेयजल जैसी योजनाओं तक विस्तारित हैं। भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाना है। जल जीवन मिशन के प्रारम्भ के समय देश में जहां करीब सवा तीन करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति होती थी। अब करीब 12 करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है। इस मिशन से गांव के लोगों को स्वच्छ पेयजल मिल रहा है। इससे जलजनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। इस योजना से पानी की बर्बादी रुकी है। साथ ही उसके दूषित होने की सम्भावना नगण्य हो गई है।

वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ इस क्षेत्र में बड़ी पहल है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप यह योजना ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल संरक्षण तकनीक को अपनाने की परिकल्पना को साकार करती है। एक बार महात्मा गांधी काशी में श्रीविश्वनाथ धाम के दर्शन के लिए गए थे। उन्होंने वहां पर्याप्त स्वच्छता ना होने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज श्री काशी विश्वनाथ धाम की काया पलट दी है।अब यहां स्वच्छता है। रिकार्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सही मायने में महात्मा गांधी के रास्ते पर चलते हुए विकास की बुनियाद रखी है।भारत में संसाधन की कमी नहीं हैं। इसके बल पर विभिन्न प्रकार के उपयोगी सामान विश्व स्तर के बनाये जा सकते हैं। देश में असंख्य कुशल हाथ हैं, जिनका उपयोग करके प्राकृतिक संपदा से बहुत कुछ बनाया जा सकता है। गांधी जी ने अपने विचारों के माध्यम से राजनीतिक,दार्शनिक, सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उन्होंने दबे कुचले दलित वर्ग के लोगों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं छूआछूत का विरोध किया। उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किया। गांधी जी ने जनसामान्य को साफ-सफाई की महत्ता समझाई। स्वच्छता पर गांधी जी के मूलमंत्र को सही मायने में प्रधानमंत्री मोदी ने समझा है। यही वजह है कि स्वच्छता पूरे देश का अभियान बन गया है। आज देश में विकास की मनभावन फाग गा रहा है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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