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अतीक को प्रयागराज लाने की जिम्मेदारी IPS अभिषेक भारती के कंधों पर, तीन SP और 40 जवान हैं साथ

प्रयागराज (Prayagraj)। गुजरात (Gujarat) की साबरमती जेल (Sabarmati Jail) में बंद माफिया अतीक अहमद (Atik Ahmed) को प्रयागराज पुलिस वापस यूपी लेकर आ रही है। उसे आगामी 28 मार्च को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) में पेश किया जाएगा, जहां वर्ष 2006 में राजूपाल हत्याकांड (Rajupal murder case) के गवाह उमेश पाल का अपहरण (Abduction of Umesh Pal) कर उसे पीटने और धमकाने के मामले में सजा सुनाई जानी है। इसके लिए अदालत के आदेश पर प्रयागराज पुलिस पूरे लाव- लश्कर के साथ रविवार सुबह साबरमती जेल पहुंची थी। जेल में औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शाम करीब चार बजे अतीक को साथ लेकर पुलिस टीम ने प्रयागराज की ओर रुख किया है। ऐसे में यह आपके लिए जानना रोचक होगा कि आखिर आतिक को लाने की जिम्मेदारी यूपी सरकार ने किसे सौंपी है…

आईपीएस अभिषेक भारती को मिली है अतीक को लाने की जिम्मेदारी
अतीक अहमद को साबरमती जेल से यूपी लाने की जिम्मेदारी आईपीएस अभिषेक भारती को मिली है। अभिषेक भारती वर्तमान में डीसीपी गंगानगर के पद पर तैनात हैं। उनके नेतृत्व में तीन एसीपी और 40 पुलिसकर्मियों का दस्ता साबरमती जेल पहुंचा है। दो प्रिजन वैन और तीन चार पहिया गाड़ियों से पुलिस की टीम साबरमती जेल पहुंची है।


लटका चेहरा, घबराया अतीक
साबरमती जेल से अतीक अहमद जैसे ही बाहर निकला, उसका चेहरा उतरा नजर आया। बुरी तरह घबराए हुए अतीक को पुलिसकर्मियों ने धक्का देकर बख्तरबंद वाहन में चढ़ाया। इस दौरान उसे मीडिया से बातचीत नहीं करने दी गयी। अतीक को पुलिस सड़क मार्ग से प्रयागराज ला रही है। छह गाड़ियों का काफिला लगातार सफर करते हुए प्रयागराज की दूरी को तय करेगा। उसे सोमवार शाम तक प्रयागराज लाने की तैयारी है। जिसके बाद उसे नैनी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखने की तैयारी है।

अशरफ को भी बरेली जेल से प्रयागराज ला सकती है पुलिस
वहीं सूत्रों की मानें तो अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को भी पुलिस बरेली जेल से प्रयागराज ला सकती है। अशरफ भी उमेश पाल अपहरण कांड में आरोपी है। सूत्रों के मुताबिक सजा के एलान के समय वह भी अतीक अहमद के साथ कटघरे में मौजूद रहेगा।

पहली बार होगी सजा
उल्लेखनीय है कि अतीक अहमद को पहली बार किसी मामले में अदालत सजा सुना सकती है। इससे पहले अतीक पर 100 मुकदमे दर्ज हुए लेकिन हर बार वह कानूनी दांव-पेच अपनाकर कानून के शिकंजे से बचता रहा। उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक और उसके कुनबे पर कानून का शिकंजा कसना शुरू हुआ है। बताते चलें कि अतीक के करीबी परिजनों पर भी 65 मुकदमे दर्ज हैं।

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