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टोटल करेंसी वैल्यू में 2000 के नोटों की हिस्सेदारी सिर्फ 1.6 प्रतिशत

– बाजार से खत्म होते जा रहे हैं 2000 रुपये के नोट

नई दिल्ली। करीब 6 साल पहले जब 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी (demonetisation) का ऐलान हुआ था, उसके बाद भारतीय बाजार (Indian market) में 2000 रुपये के नए नोट (new 2000 rupee note) का चलन शुरू हुआ था। इन 6 सालों की अवधि में धीरे धीरे 2000 रुपये के ये नोट बाजार के चलन से बाहर होते गए। भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) ने पिछले कुछ सालों से 2000 रुपये का एक भी नया नोट नहीं छापा है, जिसके कारण इस नोट की भारतीय बाजार से हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम होती जा रही है।


भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मार्केट में मौजूद टोटल करेंसी वैल्यू में अब 2000 रुपये के नोट की हिस्सेदारी सिर्फ 1.6 प्रतिशत रह गई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष तक इस नोट की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत थी। वहीं 2019-20 के वित्त वर्ष के दौरान नोटों के कुल सरकुलेशन में 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 2.4 प्रतिशत थी। इस रिपोर्ट से साफ है कि साल दर साल भारतीय बाजार में 2000 रुपये के नोटों का चलन लगातार घटता जा रहा है।

वित्त वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में आरबीआई की ओर से बताया गया है कि भारतीय बाजार से 2000 रुपये के नोटों का चलन लगातार कम होता जा रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा 2000 रुपये के जितने नोट छापे गए थे, उनमें से अभी सिर्फ 13.8 प्रतिशत नोट ही सरकुलेशन में हैं, जबकि पिछले वर्ष तक 2000 रुपये के 17.3 प्रतिशत नोट बाजार के सरकुलेशन में थे। जाहिर है कि 1 साल की अवधि में ही 2000 रुपये के नोटों के सरकुलेशन ने 3.5 प्रतिशत की कमी आ गई है।

बाजार में नोटों के वैल्यू के हिसाब से बात की जाए, तो भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी किए गए नोटों के कुल वैल्यू में 2000 और 500 रुपये के नोटों की वैल्यू की कुल हिस्सेदारी 87.1 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक वॉल्यूम के लिहाज से भारतीय बाजार में 500 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। फिलहाल कुल वॉल्यूम में 34.9 प्रतिशत हिस्सेदारी 500 रुपये के नोटों की है। दूसरे नंबर पर 10 रुपये के नोट की हिस्सेदारी है। भारतीय बाजार में चल रहे नोटों में फिलहाल 21.3 प्रतिशत नोट 10 रुपये के हैं। (एजेंसी, हि.स.)

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