मुंबई। बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) और रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) की आगामी फिल्म ‘थामा’ (Thama) एक अनोखे विषय पर आधारित है, जो भारतीय मिथक और इतिहास से जुड़ा है। यह फिल्म 1000 साल पुराने एक प्राचीन मिथक पर आधारित है, जिसे भारतीय लोककथाओं में ‘बेताल’ की कहानी के रूप में जाना जाता है। खास बात यह है कि इस कहानी का इतिहास हॉलीवुड के वैम्पायर कथानकों से भी पुराना और गहरा है।
‘थामा’ की कहानी की पृष्ठभूमि
‘थामा’ की कहानी एक ऐसे रहस्यमय और प्राचीन मिथक पर आधारित है, जो लगभग 1000 साल पुराना है। यह मिथक भारत के लोककथाओं में ‘बेताल’ के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें एक विचित्र प्रेत या आत्मा की गाथा है। यह कहानी न केवल भारतीय लोककथाओं का हिस्सा है, बल्कि इसकी जड़ें इतनी पुरानी हैं कि इसे हॉलीवुड के वैम्पायर जैसी आधुनिक हॉरर कहानियों से भी अधिक ऐतिहासिक माना जाता है।
फिल्म के कलाकार और निर्माण
फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना, जो अपने दमदार अभिनय और पसंदीदा फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। दोनों कलाकारों का साथ इस फिल्म को और भी आकर्षक बनाता है। आयुष्मान खुराना की ग्लोबल अपील और रश्मिका मंदाना की ताज़गी ‘थामा’ की कहानी को जीवंत बनाने में मदद करती है।
निर्देशक और निर्माता टीम ने इस प्राचीन मिथक को आधुनिक परदे पर लाने के लिए काफी मेहनत की है। उन्होंने भारतीय लोककथाओं की गहराई से रिसर्च की है ताकि कहानी की असली आत्मा को बरकरार रखा जा सके। फिल्म की स्क्रिप्ट में प्राचीन कथाओं को आधुनिक कहानी के साथ जोड़ा गया है, जिससे यह न केवल मनोरंजक बल्कि सोचने पर मजबूर करने वाली भी बने।
‘थामा’ और हॉलीवुड के वैम्पायर मिथकों की तुलना
हॉलीवुड में वैम्पायर की कहानियां दशकों से चल रही हैं और उन्होंने विश्वभर में हॉरर और फैंटेसी की परिभाषा को नया रूप दिया है। लेकिन ‘थामा’ की कहानी हॉलीवुड की वैम्पायर कहानियों से कहीं पुरानी है। बेताल जैसे पात्रों की कथाएं भारतीय लोककथाओं में सैकड़ों सालों से सुनाई जा रही हैं, जो मृत्यु, पुनर्जन्म, और आत्मा के अस्तित्व जैसे विषयों को केंद्र में रखती हैं।
यह फिल्म दर्शकों को भारतीय मिथकों की इस पुरानी परंपरा से रूबरू कराएगी और उन्हें यह समझने का मौका देगी कि हॉलीवुड की आधुनिक कहानियों के पीछे कितनी पुरानी और गहरी सांस्कृतिक धरोहर छुपी है।
दर्शकों की उम्मीदें और फिल्म का भविष्य
‘थामा’ को लेकर दर्शकों में काफी उत्सुकता है। आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना की केमिस्ट्री और फिल्म की अनोखी थीम ने लोगों की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है। भारतीय फिल्मों में इस तरह के मिथकीय और रहस्यमय विषयों को लेकर नया नजरिया पेश करने की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं, और ‘थामा’ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
फिल्म की कहानी, अभिनय, और तकनीकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि यह फिल्म न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही जाए। खासकर युवा दर्शकों को यह कहानी अपनी ओर खींच सकती है, जो पुराने मिथकों में आधुनिक सिनेमा के तत्वों को जोड़ना पसंद करते हैं।
‘थामा’ केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय लोककथाओं और मिथकों का आधुनिक प्रस्तुतीकरण है, जो दर्शकों को एक हजार साल पुराने बेताल की कहानियों से परिचित कराएगी। हॉलीवुड के वैम्पायर मिथकों से कहीं पुरानी यह कहानी अब नए युग की तकनीक और अभिनय के साथ बड़े परदे पर दिखेगी। आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना की जुगलबंदी इस फिल्म को खास बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
इस फिल्म के जरिए भारतीय संस्कृति की समृद्धि, उसकी प्राचीनता और आधुनिक सिनेमा की शक्ति का सुंदर मिश्रण देखने को मिलेगा।
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