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अफगानिस्‍तान में महिलाओं के अधिकार की बात सिर्फ दिखावा, असल में तालिबानी कर रहे बर्बरता

काबुल। अफगानिस्‍तान (Afghanistan) में तालिबानी सरकार(Taliban Government) महिलाओं के अधिकार (rights of women) बरकरार रखने के वादों के बावजूद तालिबान (Taliban) उनका भरोसा जीतने में विफल रहा है। अफगानिस्तान (Afghanistan) में आतंकी संगठन के शासन में महिलाएं खौफजदा (women frightened) हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण टोलो न्यूज की एंकर बेहिश्ता अर्घंद हैं, जिन्होंने लाइव प्रसारण में तालिबान के प्रवक्ता का साक्षात्कार (Taliban spokesman interview) किया था। ऐसा करने वाली वह पहली अफगान महिला थीं, लेकिन तालिबानी रोक-टोक और धमकियों (Taliban Interruptions and Threats) के कारण उन्हें हफ्तेभर में मुल्क छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा।
थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट एंड सिक्योरिटी (Think Tank International Forum for Rights and Security)का कहना है कि जब अर्घंद जैसी पढ़ी-लिखी महिला को तालिबान के डर के मारे भागना पड़ा तो गांव-कस्बों में रहने वाली आम महिलाओं की पीड़ा समझी जा सकती है। अपनी रिपोर्ट में फोरम ने कहा है, जिस तालिबान को दुनिया प्रेस कॉन्फ्रेंस और टीवी पर देख रही है, वह उसका असली चेहरा नहीं है। कैमरों से दूर नागरिक उसके दो दशक पुराने जंगली चेहरे से ही रूबरू हो रहे हैं। छोटे शहरों और गांव में आतंकी महिलाओं और नागरिकों को प्रताड़ित कर रहे हैं।


महिला पुलिसकर्मियों को भी मिल रही धमकियां
कुछ बैंकों में महिला कर्मचारियों का काम करना पहले से ही बंद है। यहां तक कि महिला पुलिसकर्मियों को भी धमकियां मिल रही हैं। शहरी इलाकों से दूर महिलाएं, बच्चियां परिवार के पुरुषों के बिना गली-सड़कों पर नहीं निकल सकतीं। सरकार में महिलाओं को जगह न मिलने से भी साफ हो गया है कि तालिबान राज में उनके लिए झूठ के अलावा ज्यादा कुछ नहीं है।

काबुल के मेयर का फरमान, घर में ही रहें कामकाजी महिलाएं
काबुल के अंतरिम मेयर हमदुल्लाह नमोनी ने शहर की कामकाजी महिलाओं को नई सरकार के नियमों का हवाला देकर घर में ही रहने का फरमान जारी किया है। नमोनी ने बताया कि सिर्फ उन महिलाओं को काम पर जाने की इजाजत होगी, जिनकी जगह फिलहाल कोई पुरुष नहीं ले सकता है, जैसे- इंजिनीयरिंग व डिजाइन जैसे कौशल वाले काम या फिर सार्वजनिक महिला शौचालयों आदि में महिलओं को काम करने की इजाजत होगी।
बहरहाल, इससे यह साफ होता है कि तालिबान महिलाओं के सम्मान व कामकाज के अधिकार के अपने वादों के विपरीत 1990 के दशक की तरह कट्टरपंथी इस्लामिक तौर-तरीकों की तरफ बढ़ रहा है। तालिबान ने अपनी सत्ता के बीते दौर में लड़कियों की पढ़ाई और महिलाओं के कामकाज करने पर पाबंदी लगा दी थी। मेयर ने बताया कि महिला कर्मचारियों को लेकर काबुल के नगर निकाय में फैसला होना बाकी है। काबुल पर तालिबान के कब्जे से ठीक पहले तक शहर के तमाम महकमों में करीब तीन हजार महिला कर्मचारी काम कर रही थीं।

गिरा उदार मुखौटा
फोरम का कहना है, 17 अगस्त को तालिबानी प्रवक्ता ने टीवी पर अर्घंद को बताया कि महिलाओं को इस्लामी कानून से मंजूरी प्राप्त काम करने की छूट रहेगी। इसका मतलब था कि कट्टरपंथी दिन लौटने वाले हैं। ज्यों ही प्रवक्ता टोलो न्यूज के स्टूडियो से बाहर निकला तालिबान का उदार मुखौटा गिर गया। तालिबान ने न्यूजरूम में महिलाओं को हिजाब पहनने का आदेश जारी कर दिया। यहां तक कि कुछ टीवी स्टेशनों की महिला एंकरों को तो निलंबित ही कर डाला।
तब से कंधार में महिला टीवी व रेडियो एंकरों को काम पर आने से रोक दिया गया। उन्हें कॉलेजों का रुख नहीं करने दिया जा रहा। लड़कों के लिए तो माध्यमिक, उच्च माध्यमिक स्कूल खोल दिए हैं पर लड़कियों को दूर रखा गया है।

शिक्षिकाओं पर बड़ा संकट
ऐसी कई महिलाएं हैं, जिनका घर उनकी कमाई से ही चलता है। काबुल के बीबी सारा खैरखाना स्कूल में 15 साल से 12वीं कक्षा को पश्तो पढ़ाने वाली खतारा इन्हीं शिक्षिकाओं में से एक हैं। उनका कहना है, शिक्षा मंत्रालय ने अगले आदेश तक स्कूल न आने को कहा है। अगर किसी शिक्षित महिला का ही सम्मान नहीं होगा तो फिर किसका होगा। हम अपना घर-परिवार कैसे चलाएंगे।

लड़कियों की स्कूल पाबंदी पर यूनेस्को और यूनिसेफ चिंतित
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) तथा यूएन बाल कोष (यूनिसेफ) ने अफगान लड़कियों के स्कूल बंद करने को शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया है। यूनेस्को के महानिदेशक आद्रे अजोले ने कहा, स्कूलों में लड़कियों को लौटने की अनुमति नहीं दी जाती है तो इसके व्यापक नतीजे होंगे।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अजोले ने कहा, माध्यमिक विद्यालय में लड़कियों की देरी से वापसी से उन्हें शिक्षा और अंतत: जीवन में पीछे छूटने का जोखिम हो सकता है। यूनिसेफ प्रमुख हेनरीटा फोर ने एक बयान में कहा, हम इससे चिंतित हैं कि कई लड़कियों को स्कूल वापस जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। फोर ने कहा कि लड़कियों को पीछे नहीं रहना चाहिए।

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