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इस साल पड़ रही सिर्फ एक सोमवती अमावस्‍या, जानें क्‍या है महत्‍व   

हिंदू कैलेंडर यानी पंचांग में एक साल में कुल 12 अमावस्या (Amavasya) होती हैं। इस दिन तीर्थ स्नान के बाद दान और फिर पितरों की विशेष पूजा करने की परंपरा है। जब तिथियों की घट-बढ़ होती है। तब ये पर्व कभी-कभी दो दिन तक भी रहता है। इसलिए जब दोपहर में अमावस्या (Amavasya) हो उस दिन पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण किया जाता है। वहीं जब सूर्योदय के समय हो तो स्नान और दान किया जाता है। इस बार सोमवती अमावस्या (Somvati amavasya) पर्व साल में एक ही बार आ रहा है। चंद्रमा की घटती बढ़ती कलाओं के कारण प्रत्येक माह पूर्णिमा और अमावस्या (Full moon and amavasya) तिथि पड़ती है।



हर माह कृष्ण पक्ष आखिरी तारीख को अमावस्या (Amavasya) आती है। इस बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को पड़ रही है। वर्ष 2021 में एक ही सोमवती अमावस्या (Somvati amavasya) पड़ रही है, इसलिए यह दिन और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। पूर्णिमा की तरह अमावस्या (Amavasya) का भी धार्मिक महत्व माना गया है। इस दिन दान और पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं। जो अमावस्या सोमवार (Monday) को पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवती अमास्या बहुत विशेष माना गया है। जानिए सोमवती अमावस्या (Somvati amavasya) का महत्व, तिथि और पूजा विधि।

सोमवती अमावस्या 2021 मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ- 11 अप्रैल 2021 दिन रविवार को प्रातः 06 बजकर 05 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त- 12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को प्रातः 08 बजकर 02 मिनट पर

महत्व (Importance)
सोमवती अमावस्या (Somvati amavasya) पर सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। इस दिन पितरों का तर्पण करने और उनके निमित्त दान करने से आपके पूरे परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। जिससे आपके घर में खुशहाली और शांति बनी रहती है। कुंडली में पितृदोष निवारण के लिए यह दिन बहुत उत्तम माना गया है।

सोमवती अमावस्या पूजा विधि
चैत्र अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात पितरों को जल अर्पित करें।

दूध में काले तिल मिलाकर पितृ तर्पण करें और किसी ब्राह्मण या फिर जरूरतमंद को भोजन कराएं।

इस दिन पितरों के नाम से अन्न वस्त्र और क्षमतानुसार धन का दान करना चाहिए।

सुहागन स्त्रियों को इस दिन पति की दीर्घायु के लिए पीपल के वृक्ष की पूजन करना चाहिए।

इस दिन सुहागन स्त्रियों को किसी सरोवर या नदी के पास जाकर शिव जी और माता पार्वती का पूजन करना चाहिए।

इसके बाद तुलसी पूजन (Tulsi Pujan) और तुलसी की 108 या फिर क्षमतानुसार परिक्रमा करनी चाहिए।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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