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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

कोरोना निपटने के बाद ताई को सताई चिंता
कोरोना (Corona)  की दूसरी लहर ने ताई, यानी पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) को भी घर में कैद कर दिया था। कोरोना (Corona)  जैसे ही निपटा, वैसे ही ताई भी घर से निकलीं और दोनों मंत्रियों को अपने कार्यालय बुला लिया और कहा कि मुझे गांव की चिंता है, वहां ध्यान दो। इस दौरान ताई के खास सिपहसालार देवराजसिंह परिहार जो अभी तक गायब थे, वे भी प्रकट हो गए और जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर तो थे ही। दूसरे दिन कांग्रेस के लोगों को भी बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए। ताई की अचानक सक्रियता किसी को समझ नहीं आई। हालांकि ताई कोरोना की शुरुआत में घर से निकली थीं और रेसीडेंसी कोठी में मीटिंग लेने पहुंची थीं। उस समय भी उन्होंने कांग्रेस के लोगों को बुलाया था। कल भी ताई भाजपा कार्यालय पहुंचीं। ताई कहीं अपने आपको इस कदम से इंदौर का सर्वमान्य नेता जाहिर करना चाह रही हैं।
पुलिसवालों पर भारी पड़ गया मेंदोला का फोन
क्या बंद और क्या चालू की आड़ में गली-मोहल्लो में घूमने वाले पुलिसकर्मी ( Policeman) अपना शिकार ढूंढते हैं। मामला एमआईजी थाने का है। मेनरोड पर संघ और भाजपा की राजनीति से जुड़े एक नेताजी की दुकान है। घर भी वहीं है, सो शटर थोड़ा ऊंचा कर बाहर निकल आते हैं। इतने में दो पुलिसवाले आ धमके और पुलिसिया स्टाइल में बात करने लगे। तहसीलदार के नाम की धौंस देकर कुछ खर्चा-पानी पर बात जाने ही वाली थी कि सोनवणे ने दादा दयालु को फोन लगा दिया कि ये लोग जबरदस्ती परेशान कर रहे हैं। दयालु ने सीधे टीआई को टाइट कर डाला। हालांकि उसके बाद वे वहां फटके भी नहीं, लेकिन उन्होंने दूसरे शिकार ढूंढना शुरू कर दिए।
उमेश बने पंडित लेकिन दक्षिणा में…..
उमेश शर्मा (Umesh Sharma) को वक्त पर जो मिलना था वो नहीं मिला। उपचुनाव से उन्होंने मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silavat)  के आंगन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना शुरू कर दी है और अभी भी वहीं डटे हैं। पिछले दिनों अत्रीवाल ग्रुप ने एक एम्बुलेंस भेंट की और रेसीडेंसी कोठी पर मजमा जम गया। पूजा करने की बारी आई तो कोई पंडित नहीं था। बस फिर क्या था, उमेश शर्मा तो वहां थे। उन्होंने मंत्र पढऩा शुरू कर दिए और सिलावट तथा सांसद के हाथ पूजा करा दी। हालांकि उन्हें यहां भी दक्षिणा नहीं मिली और वे खाली हाथ रह गए। खैर, ये तो हमेशा से पंडितजी के साथ होता आया है। काम तो खूब करते हैं, लेकिन जब दक्षिणा की बारी आती है तो यजमानों के हाथ पीछे चले जाते हैं।
कांग्रेस में भी भाजपा जैसा अनुशासन
कल रेसीडेंसी में हुई बैठक में सबसे पहले जीतू पटवारी बाहर आए और कार में बैठने लगे। मीडिया ने क्राइसिस मैनेजमेंट मीटिंग को लेकर बात करना चाही तो बोले कि हमारे अध्यक्ष ही बोलेंगे। मीडिया ने कहा कि कुछ तो कहो, लेकिन मानो जीतू ने कसम खा रखी थी। हालांकि बाद में वे बोले, लेकिन राजनीतिक हालातों पर। मीटिंग में क्या प्रस्ताव रखे गए इसकी जानकारी तो विनय बाकलीवाल ने ही दी। ऐसा गजब का अनुशासन तो अभी तक भाजपा में ही देखने को मिलता था, लेकिन कांग्रेस में कहां से आ गया? जबकि कांग्रेसी तो श्रेय लेने के लिए एक-दूसरे नेता को ही कठघरे में शामिल करने से बाज नहीं आते रहे हैं।
जब पटवारी पर भारी पड़ गए गौरव
कल रेसीडेंसी कोठी में क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक चल रही थी। विधायक एवं पूर्व मंत्री पटवारी के बोलने की बारी आई तो उन्होंने बिना कोई प्रस्ताव दिए सीधे मधु वर्मा की ओर इशारा कर कह दिया कि मेरा जो वीडियो चलाया गया, उसमें कलाकारी की गई और मुझे बदनाम किया गया। इस पर गौरव रणदिवे ने आपत्ति ली और कहा कि ये बैठक शहर के लिए रखी गई है, आप इसमें अपनी ओर से बात रखें और बताएं कि शहरहित में क्या किया जा सकता है? लेकिन पटवारी गरम हो गए और हावी होने लगे। गौरव ने भी स्पष्ट कर दिया कि आप लोग केवल विरोध की राजनीति करते हो। बाहर कुछ और बात करते हो और अंदर आम लोगों के हितों की बात ही नहीं उठाते हो।
कार्यकर्ता से बनवाया स्वस्तिक
आखिरकार कल कांग्र्रेस के वरिष्ठ दिवंगत नेता माधवराव सिंधिया की प्रतिमा को स्थानांतरित कर ही दिया गया। खुद मंत्री सिलावट की देखरेख में सबकुछ हुआ। प्रतिमा को शिफ्ट करने के लिए पैडस्टल पर स्वस्तिक बनाया जा रहा था, लेकिन गौरव रणदिवे से वह नहीं बना तो वहां खड़े भाजपा कार्यकर्ता शैलेन्द्र महाजन ने कहा कि ऐसे बनाओ तो बन जाएगा। इस पर सिलावट ने कहा कि तुम ही बना दो। शैलेन्द्र ने स्वस्तिक तो बना दिया, लेकिन जब नारियल फोडऩे की बात आई तो नारियल भी नहीं फूटा और यह काम भी शैलेन्द्र को ही दिया गया। उन्होंने दो बार में नारियल फोड़ दिया। सिलावट ने पीठ पर शाबाशी भी दे मारी और नेताजी की जाने-अनजाने में झांकीबाजी भी हो गई।

भोपाल में जो राजनीति कांग्रेस और भाजपा की चल रही है, उसको लेकर कहा जा रहा है कि यह सब मीडिया का किया-धरा है। भाजपा में तो आसानी से कुछ बाहर नहीं आता, लेकिन कांग्रेसी भी कह रहे हैं कि अभी कमलनाथ को हटाया नहीं जा सकता, लेकिन नेता धीरे से फुसफुसाहट भी कर रहे हैं कि कमलनाथ को एक कुर्सी तो छोडऩी ही पड़ेगी, चाहे वह अध्यक्ष की हो या फिर नेता प्रतिपक्ष की।
-संजीव मालवीय

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