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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

November 03, 2025

कायम है अभी भी पंडित जी के तेवर
इंदौर शहर कांग्रेस (Congress) के सालों तक अध्यक्ष रहने वाले पंडित कृपा शंकर शुक्ला (Pandit Kripa Shankar Shukla) के तेवर अभी भी कायम है। पिछले दिनों इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की पुण्यतिथि पर इंदिरा प्रतिमा पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के नेताओं ने इंदिरा जी के आदर्शों पर चलते हुए अपनी जान भी कुर्बान कर देने जैसी बड़ी-बड़ी बातें की। इसके बाद पंडित जी के उद्बोधन की बारी आई। जैसे ही पंडित जी बोलने लगे वैसे ही मौसम ने करवट बदली और आसमान पर बादल घिर कर आ गए। इस स्थिति को देखकर चिंतित हुए देवेंद्र सिंह यादव बोल पड़े की जल्दी भाषण पूरा कर लो पानी आने वाला है। इतना सुनते ही पंडित जी का पारा चढ़ गया। पंडित जी बोल पड़े कि जब 10 मिनट का वक्त सुनने के लिए नहीं दे सकते हो, पानी आ जाए तो भीगने की कुवत नहीं है और बात इंदिरा जी के आदर्शों पर चलकर जान देने की करते हो। पंडित जी के इस गरजते वचन को सुनकर वहां सन्नाटा छा गया। इसके बाद पंडित जी ने भाषण के नाम पर लंबे प्रवचन दिए लेकिन क्या मजाल है कि कोई नेता बीच में बोल दें। इसे कहते हैं सौ सुनार की एक लोहार की….


नुकसान तो हो गया जीतू जिराती का
पहले विधायक फिर भाजयुयों के प्रदेश अध्यक्ष, फिर संगठन में सालों तक पद संभालने के बाद अब सत्ता की चाशनी का स्वाद चखने के लिए जीतू जिराती तैयार थे। उनकी राह में सबसे बड़ा रोडा गौरव रणदिवे लग रहे थे। हाल ही में गठित की गई प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी में गौरव को प्रदेश महामंत्री बना दिया गया। इसके बाद जीतू जिराती को लगने लगा था कि अब इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद की उनकी राह साफ हो गई है। बस नियुक्ति पत्र के जारी होने के मुहूर्त का इंतजार किया जा रहा था। इसी दौरान इंदौर शहर भाजपा की कार्यकारिणी की घोषणा हो गई। इसमें जिराती के एक भी समर्थक को स्थान नहीं मिला। इसके बाद उनसे जुड़े हुए निलेश चौधरी के समर्थकों ने भाजपा के कार्यालय पर जाकर जो बवाल मचाया, वह भाजपा में सामान्य रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है। इस मामले पर तो पार्टी ने बर्फ डाल दिया लेकिन इस पूरे मामले में जिस तरह से जिराती का नाम उछला है उसका खामियाजा निश्चित तौर पर आने वाले समय में होने वाली नियुक्ति में उन्हें भुगतना पड़ सकता है। इसे कहते हैं आहुति देने में हाथ जलना..

महापौर का दर्द न जाने कोई
अपने कार्यकाल के 5 साल में से 3 साल पूरे कर चुके महापौर का दर्द कोई समझ ही नहीं पा रहा है। इस कार्यकाल के दौरान निगम में आयुक्त के पद पर पदस्थ रहे प्रतिभा पाल, हर्षिका सिंह और शिवम वर्मा के साथ उनकी नहीं बनी। अब जब दिलीप कुमार यादव आए हैं तो उनके साथ भी शुरुआती दौर में ही ठन गई है। इस बारे में जब महापौर से पूछा गया कि आखिर आयुक्त से उनकी क्यों नहीं बनती है? तो महापौर का कहना था कि मैं लोकतांत्रिक तरीके से काम करना चाहता हूं। अधिकारी उस तरीके को पसंद नहीं कर रहे हैं इसलिए सारी समस्या पैदा होती है। हाल के विवाद का कारण वार्ड क्रमांक 74 में टैक्स चोरी पकडऩे के लिए शुरू किया गया अभियान बना। अब महापौर का कहना है कि किसी के भी घर यदि जांच करने जा रहे हो तो उसे पहले नोटिस दो, सूचना दो, उसके बाद में उसके घर पर जाओ। अब यदि इतनी प्रक्रिया निगम करने लगेगा तो शायद नोटिस मिलने के बाद कोई भी घर में नहीं मिलेगा।

कांग्रेस नेताओं के लिए परीक्षा की घड़ी
संगठन सृजन अभियान के तहत इंदौर शहर और इंदौर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए दोनों नेताओं के लिए इस समय परीक्षा की घड़ी आ गई है। पार्टी संगठन के द्वारा मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान में सहभागिता करने के लिए कांग्रेस की शहर और जिला इकाइयों को बूथ लेवल एजेंट नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। वोट चोरी के मामले को पूरे देश में मुद्दा बनाने के बाद कांग्रेस का फोकस इस बात पर है कि हमारे भी एजेंट नियुक्त होना चाहिए और हमें भी मतदाता सूची की जांच करना चाहिए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस के द्वारा अपनी यह चाहत अध्यक्षों को बता दी गई है। अब समस्या यह है कि कांग्रेस ने कभी भी मतदाता सूची के परीक्षण जैसा काम न किया है ना करवाया है। अब इतने सारे बूथ लेवल के एजेंट कहां से लाएं? कांग्रेस के पास घर-घर जाकर मतदाता सूची को चेक करने के लिए इतने समर्पित कार्यकर्ता भी नहीं है। अब दोनों कांग्रेस अध्यक्ष इस समस्या से दो-दो हाथ करते हुए अपने एजेंट की सूची तैयार करने में लगे हुए हैं। इसे कहते हैं सिर मुंडाते ही ओले पडना….

छत्तीसगढ़ ने बढा दी नेताओं की उम्मीद
भाजपा के नेताओं की उम्मीद को छत्तीसगढ़ में परवान चढ़ा दिया है। दरअसल छत्तीसगढ़ की भाजपा की सरकार के द्वारा वहां पर नगर निगम में एल्डर मेन और निगम मंडल में नियुक्ति करने का काम कर दिया गया है। इस स्थिति से इस बात को बल मिला है कि अब बिहार के चुनाव होते ही मध्य प्रदेश में भी नियुक्ति का सिलसिला शुरू हो जाएगा। यह दृश्य स्पष्ट होते ही भाजपा के नेताओं की धडक़नें तेज हो गई है। निगम मंडल के माध्यम से अपने वनवास को समाप्त करने अथवा पुनर्वास करने के इच्छुक नेता अपने राजनीतिक आका के पास परिक्रमा लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। हर नेता के मन में यह बात अच्छी तरह से आ गई है की प्रसाद यदि अभी नहीं मिला तो फिर कभी नहीं मिलेगा….

कलेक्टर ने दिखाया विधायक को आईना
सरकारी कर्मचारी यह समझते हैं कि वे चाहे कितनी भी बड़ी गलती कर लें लेकिन बाद में अपने उच्च अधिकारी के पास में भाजपा के किसी विधायक को लेकर पहुंच जाएंगे तो उनके सारे गुनाह माफ हो जाएंगे। इस मान्यता पर कलेक्टर शिवम वर्मा ने पानी फेर दिया। पिछले दिनों कलेक्टर कार्यालय की निर्वाचन शाखा से हटाए गए एक कर्मचारी ने अपनी वापसी के लिए विधायक गोलू शुक्ला को साध लिया। यह कर्मचारी विधायक को लेकर कलेक्टर के पास अपनी अनुशंसा करवाने के लिए पहुंच गया। कलेक्टर ने पहले तो विधायक की बात सुनी, फिर कर्मचारियों की करतूत का बखान करते हुए उसकी बहाली से इनकार कर दिया। इस मौके पर कलेक्टर ने जो तेवर दिखाये उसे देखकर विधायक भी कह बैठे की ठीक है सर। आपको जैसा लगे वैसा कीजिए। इस पूरे घटनाक्रम से अपना हित चाहने वाले कर्मचारी की भैंस तो पानी में चली गई..
-डॉ. जितेन्द्र जाखेटिया

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