
ट्रंप भिड़ंत से घायल भारतीय व्यापार के जख्मों पर मरहम लगाने प्रधानमंत्री मोदी दुनियाभर के देशों पर निकल पड़े हैं… लेकिन जिस जापान से मोदीजी ने इस अभियान की शुरुआत की है…वह आबादी में भी पिद्दी सा देश है और भारत के साथ उसका चिन्दी सा व्यापार है… जापान हमसे खरीदता कम है और बेचता ज्यादा है… दोनों देशों के बीच व्यापार में भारत हर साल दोगुना घाटा उठाता है… 12 करोड़ की आबादी वाले जापान और भारत के बीच पिछले वर्ष दो लाख 13 हजार करोड़ का व्यापार हुआ, जिसमें एक लाख 59 हजार करोड़ का सामान जापान ने हमें बेचा और मात्र 52 हजार 909 करोड़ का सामान हमसे खरीदा… यानि दोनों देशों के बीच हुए व्यापार में हमें 1 लाख 3 हजार 795 करोड़ रुपए का घाटा हुआ… अब मोदीजी की यात्रा से हमारा मुनाफा तो दूर की बात है… घाटा भी घट जाए तो बड़ी बात है… वैसे भारत चाहे जितने चिन्दी देशों को जोड़ ले, अमेरिका के 48 अरब के व्यापार के घाटे को पाट नहीं सकता… अमेरिका के मुकाबले चीन ही दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है… लेकिन चीन भी भारत को निर्यात ज्यादा करता है और भारत से आयात कम करता है… दरअसल अमेरिका ही ऐसा देश है, जहां के नागरिक निठल्ले और कामचोर हैं… उनमें उत्पादन क्षमता की कमी है और वो दूसरे देशों के भरोसे ज्यादा रहते हैं… इसीलिए भारत अमेरिका को सर्वाधिक निर्यात करता रहा और अमेरिका से आने वाले माल को भारी टैरिफ लगाकर उसका आयात रोकता रहा… अमेरिकियों में जहां उत्पादन क्षमता की कमी है, वहीं उनके काम करने की क्षमता भी कम है… इसीलिए बड़ी तादाद में भारतीयों सहित दुनियाभर के नागरिक अमेरिका में नौकरियां कर तगड़ी कमाई कर रहे हैं… ट्रंप ने जहां विदेशियों के काम को प्रतिबंधित कर दिया, वहीं आयात पर तगड़ा टैरिफ लगाकर अमेरिकियों को संकट में डाल दिया… अब अमेरिका या तो अपनी आवश्यकता की पूर्ति कम टैरिफ वाले देशों से करे या फिर खुद उत्पादन क्षमता बढ़ाए… ट्रंप की इस सनक से अमेरिकी भी जहां हैरान-परेशान होंगे, वहीं दुनियाभर में हलचल मचेगी… लेकिन यह भी तय है कि अमेरिका के टैरिफ वार से भारतीय बाजार भी जबरदस्त तरीके से डगमगाएगा… भारत को अब इस बात की ही उम्मीद है कि ट्रंप के टैरिफ वार से प्रभावित अमेरिकियों का विरोध शायद सुलह का कोई रास्ता बनाए… इसी रास्ते के बीच संघीय अदालत का ट्रंप के टैरिफ हस्तक्षेप को अवैध करार दिए जाने का फैसला भले ही उम्मीद बने, लेकिन हकीकत यह है कि ताकतवर ट्रंप प्रशासन उसे सुप्रीम कोर्ट में बदलवा देगा और अमेरिका ट्रंप की सत्ता का शिकार होने से बच नहीं सकेगा… अच्छा है मोदीजी भी चिन्दी और पिद्दी देशों के दौरे के बजाए बड़े देशों का दामन पकड़े और अपने स्वागत-अभिनंदन के प्रायोजित कार्यक्रमों से पीछा छुड़ाकर देश के व्यापार को डूबने से बचाने का प्रयोजन करें…
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