
भोपाल। सहकारिता विभाग (Cooperative Department) में भ्रष्टाचार और गबन करने वालों पर अब सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) की नजर है। बुधवार को भोपाल में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि सहकारी समितियों में गबन करने वाले पदाधिकारी और कर्मचारियों की अचल संपत्ति कुर्क कर वसूली की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी सहकारी सोसायटी के पदाधिकारियों व कर्मचारियों की अचल संपत्ति (मकान, प्लॉट, जमीन आदि) का विवरण हर साल अनिवार्य रूप से लिया जाए। गबन या शॉर्टेज पाए जाने पर तुरंत उनकी संपत्ति कुर्क कर राशि वसूली जाएगी। किसानों को गबन से बचाने के लिए चल रही “न्याय योजना” की सीएम ने जमकर सराहना की।
बैठक में छह कमजोर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों – जबलपुर, रीवा, सतना, ग्वालियर, दतिया और शिवपुरी को सुदृढ़ करने का फैसला लिया गया। इन बैंकों को प्रदेश सरकार 50-50 करोड़ रुपए की अंशपूंजी देगी। इस तरह कुल 300 करोड़ रुपए इन बैंकों के खाते में आएंगे। सीएम डॉ. यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी जिला सहकारी बैंकों को मिलाकर प्रदेश स्तर पर एक मजबूत सहकारी बैंक बनाने के विधिक और वित्तीय पहलुओं पर गंभीरता से विचार करें।
इसे आगामी तीन वर्षों के लक्ष्यों में शामिल किया जाए। बैठक में बीज उत्पादन के “एमपी चीता” ब्रांड का जिक्र आया तो मुख्यमंत्री मुस्कुराए और चुटकी लेते हुए बोले, “यह सहकारिता में जंगल का चीता कैसे घुस आया?” अधिकारियों ने बताया कि यह ब्रांड तेजी और गुणवत्ता का प्रतीक है, जिस पर सीएम हंसते हुए आगे बढ़े। सहकारिता विभाग के इन सख्त कदमों से माना जा रहा है कि प्रदेश की हजारों सहकारी समितियों में पारदर्शिता आएगी और किसानों का पैसा सुरक्षित रहेगा।
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