
नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति(us President) डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)ने गुरुवार को एक बड़ी घोषणा(big announcement) करते हुए कहा है कि अब अमेरिका भी अपने परमाणु हथियार परीक्षण(nuclear weapons testing) कार्यक्रमों को तेज करेगा। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब रूस ने हाल ही में परमाणु-संचालित पानी के भीतर चलने वाले ड्रोन और परमाणु-सक्षम क्रूज मिसाइल के सफल परीक्षणों का दावा किया है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों को देखते हुए, मैंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि वे हमारे परमाणु हथियारों का परीक्षण समान स्तर पर शुरू करें। यह प्रक्रिया तुरंत प्रारंभ की जाएगी। ट्रंप के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई चिंता को जन्म दिया है, क्योंकि यह कदम वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयासों के विपरीत माना जा रहा है।
दरअसल ट्रंप को इस बात का डर सता रहा है कि रूस और चीन जल्द ही अमेरिका की बराबरी कर लेंगे क्योंकि अमेरिका अभी दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रखता है। ट्रंप ने अपने बयान में आगे कहा, ‘अमेरिका के पास किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। यह सब मेरे पहले कार्यकाल के दौरान ही संभव हो पाया, जिसमें मौजूदा हथियारों का पूर्ण नवीनीकरण भी शामिल है। इसकी प्रचंड विनाशकारी शक्ति के कारण, मुझे ऐसा करना बहुत बुरा लगता था, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था! रूस दूसरे स्थान पर है, और चीन काफी दूर तीसरे स्थान पर है, लेकिन अगले पांच सालों में हम बराबरी पर आ जाएंगे। अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण, मैंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि वे हमारे परमाणु हथियारों का समान परीक्षण शुरू करें। यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’
रूस और चीन की ओर से चुनौती
हाल के हफ्तों में रूस ने अपने तथाकथित “परमाणु सुपरवेपन्स” के परीक्षणों में तेजी लाई है। इनमें वे एडवांस हथियार शामिल हैं जो मिसाइल रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि ये परीक्षण “रूस की सुरक्षा के लिए आवश्यक” हैं। ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पुतिन का हालिया मिसाइल परीक्षण “उचित नहीं” है और उन्हें “युद्ध समाप्त करने पर ध्यान देना चाहिए।”
यूक्रेन युद्ध वार्ता पर असर
ट्रंप प्रशासन यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए संघर्षविराम वार्ता कराने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। विश्लेषकों का मानना है कि रूस के इन नए हथियार परीक्षणों और अमेरिका की ओर से दिए गए इस जवाबी कदम से शांति प्रयासों को गंभीर झटका लग सकता है।
चीन के साथ बैठक से पहले बयान
ट्रंप ने यह घोषणा ठीक कुछ घंटे पहले की, जब वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले थे। माना जा रहा है कि यह बैठक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते परमाणु तनाव को कम करने के प्रयासों पर केंद्रित होगी। ट्रंप पहले भी चीन के साथ एक नए परमाणु संधि पर बातचीत करने की इच्छा जता चुके हैं, ताकि दोनों देशों के परमाणु हथियार भंडारों को कम किया जा सके। परमाणु नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमेरिका वास्तव में परीक्षण शुरू करता है, तो यह 1992 के बाद पहली बार होगा जब वाशिंगटन औपचारिक रूप से परमाणु परीक्षण करेगा।
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