
नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के उस फैसले पर शनिवार को बड़ा झटका (major blow) लगा, जिसमें उन्होंने ओरेगन के पोर्टलैंड (Portland) शहर में 200 नेशनल गार्ड सैनिकों (military) की तैनाती का आदेश दिया था. संघीय अदालत ने इस फैसले पर 18 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी है.
यह आदेश यूएस डिस्ट्रिक्ट जज करिन इम्मरगट ने दिया, जो खुद ट्रंप के पहले कार्यकाल में नियुक्त हुई थीं. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे यह साबित हो सके कि पोर्टलैंड में विरोध प्रदर्शन किसी “विद्रोह” के स्तर तक पहुंचे हों या उन्होंने कानून व्यवस्था में गंभीर दखल दिया हो.
ओरेगन की अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम को अदालत में चुनौती दी थी. उन्होंने तर्क दिया कि राष्ट्रपति अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं ताकि नेशनल गार्ड पर गैरकानूनी नियंत्रण स्थापित कर सकें.
ओरेगन सरकार ने ट्रंप प्रशासन पर लगाए आरोप
ओरेगन सरकार ने अदालत से कहा कि ट्रंप का यह फैसला राज्य की स्वायत्तता पर हमला है और यह संघीय कानून का उल्लंघन है. अदालत में दायर याचिका में कहा गया कि ट्रंप ने यह आदेश फॉक्स न्यूज पर दिखाए गए 2020 के बड़े और हिंसक प्रदर्शनों के वीडियो देखकर दिया था, जबकि इस बार के प्रदर्शन “छोटे और शांतिपूर्ण” थे.
राज्य सरकार के वकीलों ने बताया कि जून के मध्य में केवल 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी और उसके बाद तीन महीने से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. वहीं, व्हाइट हाउस ने संकेत दिया है कि वह इस आदेश के खिलाफ अपील करेगा.
गार्ड्स की तैनाती पर ट्रंप प्रशासन का रुख
शनिवार शाम को भी दक्षिण पोर्टलैंड में ICE मुख्यालय के बाहर प्रदर्शनकारी एकत्र हुए और सुरक्षा बलों के खिलाफ नारेबाजी की, लेकिन स्थिति नियंत्रण में रही. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम “घरेलू आतंकवाद” से संघीय इमारतों की रक्षा के लिए जरूरी है, जबकि विपक्षी डेमोक्रेटिक नेता इसे राजनीतिक दखल और शक्ति का दुरुपयोग बता रहे हैं.
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