विदेश

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने लगाया चीन पर रूस का साथ देने का आरोप, दी चेतावनी 

वाशिंगटन (Washington)। यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine-Russia War) को शुरू हुए एक साल से ज्‍यादा हो चुका है इसके बाद भी दोनों देशों के बीच संघर्ष खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर हमला कर रहीं हैं। इसी बीच अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने चीन (China) को यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ युद्ध में रूस (Russia) का ‘घातक समर्थन’ जारी रखने को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि इसके अमेरिका (America) के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर ‘गंभीर प्रभाव’ होंगे। उन्होंने चीन की ओर से कथित तौर पर अमेरिका में भेजे गए जासूसी गुब्बारों की घटना की भी निंदा की और कहा कि ‘यह फिर कभी नहीं होनी चाहिए।



बता दें कि चीन ने लड़ाई खत्म करने के लिए 12 सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया है। इसमें उसने रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को खत्म करने की भी बात कही है। जिसका व्यापक विरोध हुआ है और उस पर रूस का साथ देने के आरोप लगाए गए हैं। इस बीच,  अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में चीन रूस का साथ देगा। उन्होंने शुक्रवार को यह बात कही।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उन्होंने इस बारे में अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से लंबी बातचीत की है। जिसके बाद अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिले है कि उसने रूस का साथ दिया है। उन्होंने आगे कहा कि अभी तक सामने नहीं आया है कि चीन को रूस को घातक सैन्य सहायता की आपूर्ति की हो।

पेंटागन के प्रेस सचिव वायु सेना ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने भी इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चीन के पास स्पष्ट रूप से उन्नत क्षमताएं और घातक हथियार हैं। इसके बाद भी उसने सार्वजनिक रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी तटस्थता की घोषणा की है।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एक इंटरव्यू में अमेरिका के रुख को लेकर कहा कि इस मुद्दे पर बाइडन प्रशासन ने चीन को साफ स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस को घातक हथियार मुहैया कराने के लिहाज से इस युद्ध में शामिल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर चीन ऐसा करता है तो यह कुछ ऐसा होगा जिसके बारे में अमेरिका को गंभीर चिंता है। इससे गेम चेंज भी हो सकता है। अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ने आगे कहा कि हालांकि चीन ने अब तक  ऐसा नहीं किया है। हम आशा करते हैं कि वे आगे भी इस संदेश का पालन करेंगे।

दूसरी ओर रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल होने पर चीन ने भी शुक्रवार को एक 12-सूत्रीय शांति प्रस्ताव जारी किया। इसे जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में पेश किया गया। ‘यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान पर चीन की स्थिति’ शीर्षक वाले इस शांति प्रस्ताव में 12 बिंदु हैं। सबसे अहम बिंदु के रूप में इसमें युद्धविराम, शांति वार्ता और रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को खत्म करने को कहा गया है।

प्रस्ताव के माध्यम से चीन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों से कहा है कि इनको एकतरफा प्रतिबंधों का दुरुपयोग बंद करना चाहिए और रूस-यूक्रेन संकट को कम करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। रूस या यूक्रेन का उल्लेख किए बिना कहा गया कि सभी देशों की संप्रभुता को बरकरार रखा जाना चाहिए। अन्य बिंदुओं में संघर्ष विराम, शांति वार्ता, युद्ध के कैदियों के लिए सुरक्षा और नागरिकों पर हमलों को रोकने के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को सुरक्षित रखने और अनाज निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए कहा गया है।

अमेरिकी अधिकारियों और कुछ विश्लेषकों ने इस प्रस्ताव की आलोचना भी की है। म्यूनिख बैठक में, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने प्रस्ताव जारी होने से पहले चीन की स्थिति के बारे में संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा दी गई गैर-घातक सहायता रूस के युद्ध के प्रयासों का समर्थन करती है। हालांकि, चीन ने आरोप को गलत बताया और कहा कि इसमें सबूतों की कमी है।

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