जीवनशैली धर्म-ज्‍योतिष

विशेष फल दायी है विनायकी चतुर्थी व्रत, जानें पौराणिक कथा


आज ज्येष्ठ मास की विनायक चतुर्थी का व्रत है और भगवान गणेश को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य भगवान गणेश (Lord Ganesha) के पूजन से भक्तों के समस्त कष्टों का निवारण होता है और ऋद्धि-सिद्धि (Riddhi-Siddhi) की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। आज विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) के दिन भगवान गणेश का पूजन एवं व्रत करने का विधान है। यहां हम विनायक चतुर्थी के पूजा मुहूर्त, पूजन विधि तथा महत्व के बारे में बता रहे हैं।

विनायक चतुर्थी की पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिये चौपड़ खेलने को कहा।



शिव चौपड़ खेलने के लिए तैयार हो गए, परंतु इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा, यह प्रश्न उनके समक्ष उठा तो भगवान शिव (Lord Shiva) ने कुछ तिनके एकत्रित कर उसका एक पुतला बनाकर उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा- ‘बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है इसीलिए तुम बताना कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता?’

उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती (Mother Parvati) का चौपड़ खेल शुरू हो गया। यह खेल 3 बार खेला गया और संयोग से तीनों बार माता पार्वती ही जीत गईं। खेल समाप्त होने के बाद बालक से हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा गया, तो उस बालक ने महादेव को विजयी बताया।

यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और क्रोध में उन्होंने बालक को लंगड़ा होने, कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह मुझसे अज्ञानतावश ऐसा हुआ है, मैंने किसी द्वेष भाव में ऐसा नहीं किया।

बालक द्वारा क्षमा मांगने पर माता ने कहा- ‘यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे।’ यह कहकर माता पार्वती शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं।

एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्याएं आईं, तब नागकन्याओं से श्री गणेश के व्रत की विधि मालूम करने पर उस बालक ने 21 दिन लगातार गणेशजी का व्रत किया। उसकी श्रद्धा से गणेशजी प्रसन्न हुए। उन्होंने बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा।

उस पर उस बालक ने कहा- ‘हे विनायक! मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं और वे यह देख प्रसन्न हों।’

तब बालक को वरदान देकर श्री गणेश अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और कैलाश पर्वत पर पहुंचने की अपनी कथा उसने भगवान शिव को सुनाई।

चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती शिवजी से विमुख हो गई थीं अत: देवी के रुष्ट होने पर भगवान शिव ने भी बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी, वह समाप्त हो गई।

तब यह व्रत विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई। यह सुनकर माता पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जागृत हुई। तब माता पार्वती ने भी 21 दिन तक श्री गणेश का व्रत किया तथा दूर्वा, फूल और लड्डूओं से गणेशजी का पूजन-अर्चन किया। व्रत के 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं माता पार्वतीजी से आ मिले। उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का यह व्रत समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला व्रत माना जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्‍य के सारे कष्ट दूर होकर मनुष्य को समस्त सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

Share:

Next Post

सुरेश रैना ने सीनियर खिलाड़ियों पर किया बड़ा खुलासा, रैगिंग के बारे में भी खोला राज

Mon Jun 14 , 2021
डेस्‍क। टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज सुरेश रैना (Suresh Raina) ने पूर्व कोच ग्रेग चैपल (Greg Chappell) के कार्यकाल को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. उनका कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने भारतीय टीम में युवाओं को सहारा दिया और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की. सुरेश रैना ने 2000 के दशक में भारतीय टीम […]