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सुरेश रैना ने सीनियर खिलाड़ियों पर किया बड़ा खुलासा, रैगिंग के बारे में भी खोला राज

डेस्‍क। टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज सुरेश रैना (Suresh Raina) ने पूर्व कोच ग्रेग चैपल (Greg Chappell) के कार्यकाल को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. उनका कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने भारतीय टीम में युवाओं को सहारा दिया और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की. सुरेश रैना ने 2000 के दशक में भारतीय टीम में सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों के बीच के रिश्तों के बारे में भी खुलासा किया है. उन्होंने अपनी किताब ‘Believe’ में इस बारे में विस्तार से लिखा है. ‘मिड डे’ अखबार में छपे किताब के एक अंश के अनुसार, चैपल ने एमएस धोनी और इरफान पठान जैसे खिलाड़ियों को टीम में लाने में बड़ी भूमिका निभाई.

इसमें लिखा है, ‘दादा ने जो टीम बनाई उसकी क्रिकेट इतिहास में छाप छोड़ने के लिए काफी तारीफ की जाती है. हालांकि टीम में इतने सारे युवाओं के आने का क्रेडिट ग्रेग को जाता है क्योंकि उन्होंने ही हमें चुनौती का सामना करने के लिए तैयार किया. उन्होंने और चीफ सेलेक्टर किरण मोरे सर ने इस कदम का समर्थन किया था. ग्रेग टैलेंट खोजने में नंबर वन हैं. वह हमेशा तय करते थे कि युवाओं को भारतीय टीम में उनका श्रेय मिले. और उन्होंने आरपी सिंह, एमएस धोनी, एस श्रीसंत, मुरली कार्तिक और इरफान पठान जैसे खिलाड़ियों को लाने में अहम रोल निभाया. इन खिलाड़ियों ने भारत के लिए काफी कामयाबी हासिल की.’


सुरेश रैना ने तब की टीम के ड्रेसिंग रूम के माहौल के बारे में भी लिखा है. उनका कहना है कि सीनियर खिलाड़ी कभी-कभी नाराज रहते थे लेकिन उन्होंने कभी भी जूनियर प्लेयर्स की रैगिंग नहीं की. रैना के अनुसार, ‘मेरे समय में भारतीय टीम परिवार की तरह थी. और जैसे हर परिवार में होता है कि वैसे ही कई बार सब लोग एक बात पर सहमत नहीं होते थे. ग्रेग के हमारे कोच रहने के दौरान ड्रेसिंग रूम में तनाव भी रहा था.’

राहुल (द्रविड़) भाई बढ़िया कप्तान थे. वह यह तय करते थे कि ड्रेसिंग रूम के मामलों के चलते हमारे प्रदर्शन पर असर नहीं पड़े. इसलिए हम युवा खिलाड़ी इस तरह की स्थिति में मौजूद नहीं रहते थे. जब भी उनकी मीटिंग होती तो हम रनिंग या ट्रेनिंग के लिए चले जाते थे और इस तरह हमें पता नहीं रहता था कि बंद दरवाजों के पीछे क्या हुआ. मेरे हिसाब से ग्रेग कभी गलत नहीं थे. क्योंकि वह हमेशा चाहते थे कि टीम तैयार रहे और उन्होंने कभी किसी की तरफदारी नहीं की.

जब हम हारते थे तब ग्रेग कठोर होते थे लेकिन ज्यादातर बार ऐसा सीनियर खिलाड़ियों के प्रति ही होते थे. मैं इस बात से सहमत हूं कि उन्हें सचिन और दादा जैसे लोगों का सम्मान करना चाहिए था. एक बार ग्रेग ने मुझे मैच से एक दिन पहले तय समय से पहल प्रेक्टिस पर जाने के लिए कहा. मुझे याद है कि टीम के सीनियर खिलाड़ियों में से एक ने मेरा मजाक बनाया था और कहा था कि मैं ही हूं जिसे एक्स्ट्रा प्रैक्टिस सेशन मिलते हैं. जैसे कि मैच में केवल में ही खेलने वाला हूं. इस पर मैंने फौरन उनसे मेरे साथ आने को कहा था क्योंकि किसी को चोट पहुंचाने की मेरी कोई मंशा नहीं थी.

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