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पहलवानों के समर्थन में सड़क पर उतरीं पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी

नई दिल्ली: बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पहलवानों (wrestlers) के पक्ष में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamta Banerjee) खुलकर आ गईं हैं. रेसलर्स के समर्थन में सीएम ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कोलकाता की सड़कों पर पैदल मार्च निकाला. इसमें ममता बनर्जी भी शामिल हुईं. इस मार्च के साथ ही ममता पहलवानों के लिए सड़कों पर उतरकर मार्च निकालने वाली पहली सीएम बन गई हैं.

मार्च के दौरान ममता ने कहा,’भाजपा नेता होने के कारण आरोपी की गिरफ्तार नहीं की जा रही है. यह देश के लिए शर्म की बात है. वे (पहलवान) हरिद्वार गए, लेकिन दोषी की गिरफ्तारी नहीं हुई. गिरफ्तारी की मांग को लेकर हमारा धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा. हमें अपने खिलाड़ियों पर गर्व है. हमने आने वाले दिनों में विरोध जारी रखने का फैसला किया है. हमने उनसे बात की है, हमारी टीम उनका समर्थन करने वहां जाएगी. पहलवानों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर टीएमसी कल कैंडल मार्च निकालेगी.

इस बीच पहलवानों को समर्थन ना करने वाले खिलाड़ियों के खिलाफ भी प्रदर्शन होने शुरू हो गए हैं. यूथ कांग्रेस ने बुधवार को सचिन तेंदुलकर के बंगले के बाहर एक पोस्टर लगाया, जिसमें पहलवानों का समर्थन ना करने पर नाराजगी जाहिर की गई. पोस्टर लगते ही मुंबई पुलिस तुरंत हरकत में आ गई और पोस्टर को हटा दिया.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे भी पहलवानों के समर्थन में आगे आए हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महिला पहलवानों की मांगों पर ध्यान देने की अपील की है. राज ठाकरे ने पत्र में कहा है कि जिन महिला पहलवानों को हम गर्व से ‘अपने देश की बेटियां’ कहते हैं. जिनकी मेहनत से देश को कुश्ती के खेल में कई पदक मिले हैं, वे गुहार लगा रही हैं.


राज ठाकरे ने आगे कहा कि महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. पीड़ित केवल सरकार से एक आश्वासन की मांग कर रहे हैं. उनकी इस लड़ाई में किसी भी ‘बाहुबली’ के दबाव के बिना उन्हें न्याय मिलना चाहिए. उन्होंने आगे कहा,’मुझे उम्मीद है कि ऐसा कोई काम दोबारा नहीं होगा, जैसा 28 मार्च को हुआ. पीएम मोदी उनकी बात सुनेंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे.

इससे पहले मंगलवार को पहलवानों के एक कदम ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया था. रेलसर्स ने अपने मेडल हरिद्वार पहुंचकर गंगा नदी में बहाने का ऐलान किया था. प्लान के मुताबिक शाम के समय भारी भीड़ के बीच रेसलर्स हर की पौड़ी पहुंचे थे, लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत ने वहां आकर उनके मेडल ले लिए और उन्हें समझाते हुए सरकार को 5 दिन का अल्टीमेटम दिया था.

मंगलवार को ही रेसलिंग के सबसे बड़े संगठन की तरफ से भी इस मामले में बयान आया था. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने कहा था कि अगर 45 दिनों के अंदर भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव नहीं होते हैं तो WFI को आगे के मैच के लिए सस्पेंड किया जा सकता है. UWW की धमकी इसलिए भी अहमियत रखती है, क्योंकि अगर WFI को सस्पेंड कर दिया जाता है तो भारतीय एथलीट्स को आगे के सभी मैच न्यूट्रल झंडे के साथ खेलने होंगे. यानी कोई भी खिलाड़ी भारतीय ध्वज के साथ अंतरराष्ट्रीय कुश्ती के मैच में भाग नहीं ले पाएगा.

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