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आत्महत्या रोकने के लिये एकजुट होकर काम करना : डा. दुबे

दतिया। डॉ. शुभ्रा दुबे ने बेबीनार के माध्यम से प्रो. बृजभूषण दुबे शिक्षा एवं जागरूकता प्रचार प्रसार समिति,दतिया द्वारा आयोजित कार्यशाला में ‘‘बल्र्ड सुसाइड प्रिवेन्श्न डे’’ पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि समाज में आत्महत्या रोकने के लिये सभी वर्गों को एक जुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य को लेकर 10 सितम्बर को मनाया गया। आत्महत्या के विरूद्ध जागरूकता फैलाना, विश्व भर में हो रही आत्महत्याओं को रोंकना। इस दिवस का आरम्भ साल 2003 में इन्टनेशनल असोसिऐशन आफ सुसाइड प्रिवेंशन के द्वारा किया जाता है। इसे दो बडी संस्थायें एक साथ मिलकर स्पान्सर करती है।

उन्होंने आगे बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं मानसिक स्वास्थ्य फेडरेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के ओकडों से हमें पता चलता है कि हर 40 सेकेण्ड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। यानि कि हर साल लगभग 40 लाख व्यक्ति आत्म हत्या करते है और जहाँ तक हमारे देश भारत की बात की जाये तो सर्वाधिक आत्महत्याएं किसान वर्ग करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी माना है कि सुसाइड मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। आयु वर्ग 15 से 29 वर्ष के बीच।

वर्तमान समय में कोरोना महामारी की बजह से भी आत्म हत्याओं की दर काफी बड़ गयी है। हमें बस अपने आप को जागरूक करना है और सामने वाले के व्यवहारिक परिवर्तन को समझना है जिससें हम कोई अनमोल जिंदगीयां बचा सकते हैं। आत्महत्या करने की सोच रहे, व्यक्ति के व्यवहारिक परिर्वतनों को पहचान कर हम उसकी मन की स्थिति को जान सकतें है, उसके अन्दर क्या विचार चल रहें है। जैसा कि व्यक्ति का हमेशा अकेलापन महसूस करना, आत्महत्या का ख्याल आना पहले जो कार्य करना पसंद थे अब उन्हें नही करना, रूचि समाप्त हो जाना, दिनचर्या में बदलाव आ जाना, रात को नींद न आना, हमेशा व्यथित एवं डरा हुआ महसूस करना, दोस्तों से सम्पर्क हटना, समाज में तिरस्कृत महसूस करना।

अगर हम अपने आस-पास किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा होता हुआ देखते है तो हमें उसे धैर्य, संम्बल प्रदान करतें हुये सकारात्मक सोचने, चिकित्सीय परामर्श लेने को प्रोत्साहित करना चाहिये, क्योंकि आत्महत्या सुसाइड की बजह हमारे मस्तिष्क के अन्दर चल रही रसायनिक प्रकिया है। चिकित्सीय परामर्श के साथ-साथ दिनचर्या में कुछ बदलाव लाये जाये तो ये सही रखना नियमित योग व्यायाम ध्यान करना, 8 से 9 से घण्टें की नींद पूरी लेना। यह ऐसी समस्या है जिसको समय रहते, समझ जाए तो न जाने हम कितनी ही अनमोल जिन्दगियों को आत्महत्या से बचा सकते है।

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