मुंबई। अगले पांच वर्ष यानी वर्ष 2025 तक भारतीय म्यूचुअल फंड (एमएफ) उद्योग की असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) वैल्यू में दो अंकों की वृद्धि रहेगी। यह 50 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर जाएगा।
क्रिसिल एजेंसी के एमडी और सीईओ आशिष सुयश के मुताबिक बीते कुछ वर्षों में एमएफ उद्योग बेहतर तरीके से वृद्धि कर रहा है। इक्विटी फंड्स में बेहतर ग्रोथ हो रही है। शेयर्स की कीमतें मौजूदा 42 प्रतिशत से बढ़कर 47 फीसदी तक पहुंच जाएंगी। वृद्धि के इस ट्रिगर से भारत के अनुकूल जनसांख्यिकी, बचत का बढ़ता वित्तीयकरण, मुद्रास्फीति की दर को काबू में रखने के साथ ही प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी। इस वृद्धि दर को बनाए रखने के लिए इंडिपेंडेंट रिसर्च, डेटा और एनालिटिक्स को निवेशकों के माइंडसेट को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। लंबे समय के लिए निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए यह जरूरी है।
क्रिसिल के अध्यक्ष अमिश मेहता के अनुसार जब फंड चुनते हैं, तो निवेशकों के लिए अंतर्निहित पोर्टफोलियो की विशेषताओं को देखना महत्वपूर्ण है। शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) जैसे प्रदर्शन पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अलग-अलग अवधियों और शीर्ष रैंक वाले इक्विटी फंड (सीएफएमआर 1 या 2) ने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है।
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