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जम्मू-कश्मीर के नवजागरण में भागीदार बनें युवा और नागरिक : राष्ट्रपति

– कृषि सुधार कानूनों से किसानों को मिलेगी उत्पादों की बेहतर कीमत

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के महत्व (importance of democratic system) रेखांकित करते हुए कहा है कि इसके आधार पर किए गए फैसलों से आज जम्मू-कश्मीर में नवजागरण दिखाई दे रहा है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र और कानून के शासन में विश्वास रखने वाले सभी पक्षों के साथ परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

राष्ट्रपति ने 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों विशेषकर युवाओं को लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से अपनी आशाओं और अपेक्षाओं को साकार करने के लिए सक्रिय होना चाहिए। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कृषि सुधार कानूनों, कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों के योगदान सहित अनेक विषयों की चर्चा की।


राष्ट्रपति ने कृषि सुधार कानूनों की चर्चा करते हुए कहा कि कृषि उत्पादों की खरीद फरोख्त के लिए किए गए अनेक सुधारों से देश का अन्नदाता किसान और भी सशक्त होगा। उन्हें अपने उत्पादों की बेहतर कीमत हासिल करना भी आसान होगा। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि सभी बाधाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर कृषि क्षेत्र में बढ़ोत्तरी जारी है।

कोविंद ने कारोबार को सुगम बनाने के लिए उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा, “जब ‘ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस’ (व्यापार में आसानी) की रैंकिंग में सुधार होता है, तब उसका सकारात्मक प्रभाव देशवासियों की ‘ईज़ ऑफ लिविंग’(जीवन की सुगमता) पर भी पड़ता है।”

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में भारतीय संसद के नए भवन के निर्माण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “हमारा लोकतन्त्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है, इसलिए संसद हमारे लोकतन्त्र का मंदिर है। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस नए भवन के उदघाटन को विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक प्रस्थान बिन्दु माना जाएगा।”

कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए देश के स्वास्थ्यकर्मियों के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक कोविड योद्धाओं को इसके चलते जान गंवानी पड़ी। वह उनकी स्मृति को नमन करते हैं। उन्होंने कहा, “कोरोना के संकट का सामना करने में लाखों लोगों ने अपनी परवाह न करते हुए मानवता के प्रति निस्वार्थ भाव से दूसरों के स्वास्थ्य और प्राणों की रक्षा के लिए भारी जोखिम उठाए हैं। ऐसे सभी कोविड योद्धाओं की मैं हृदय से सराहना करता हूं।”

कोरोना योद्धाओं के साथ भारतीय सशस्त्र बलों के वीर जवानों की भी राष्ट्रपति ने सराहना की। उन्होंने कहा कि जवानों ने हमारी स्वतंत्रता की रक्षा की है और आवश्यकता पड़ने पर सहर्ष बलिदान भी दिया है। राष्ट्रपति ने प्रवासी भारतीयों की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जिस देश में भी घर बसाया है, वहां अपनी मातृभूमि की छवि को उज्ज्वल बनाए रखा है।

कोरोना वैक्सीन का देश में उत्पादन का जिक्र करते हुए उन्होंने सभी देशवासियों से आग्रह किया कि वे प्रोटोकॉल के अनुरूप जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवा लें और दूसरों को भी प्रेरित करें। राष्ट्रपति ने देशवासियों को सचेत किया कि महामारी की तीव्रता में कमी आई है लेकिन कोरोना वायरस का प्रभाव अभी समाप्त नहीं हुआ है।

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए कोविंद ने कहा कि इन्होंने देश का गौरव बढ़ाया है। इन खेलों में महिला खिलाड़ियों की सफलता की सराहना करते हुए उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वह इनके परिवारों से शिक्षा लें और अपनी बेटियों को भी आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष में सरकार ने कई योजनाओं का शुभारंभ किया है । इसमें भारत के गगनयान मिशन का विशेष महत्व है। गगनयान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी आकांक्षाओं की उड़ान किसी प्रकार की सीमा में बंधने वाली नहीं है। फिर भी, हमारे पैर यथार्थ की ठोस जमीन पर टिके हुए हैं। हमें यह एहसास है कि आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को साकार करने की दिशा में हमें अभी काफी आगे जाना है।

पर्यावण संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए राष्ट्रपति कहा कि हमारे लिए गर्व का विषय की भारत ने पेरिस समझौते का पालन करने के साथ ही निर्धारित लक्ष्यों से अधिक योगदान किया।

पर्यावरण के साथ ही उन्होंने गांधी जी को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि प्रकृति के अनुरूप जीने की कला सीखने के लिए प्रयास करना पड़ता है लेकिन एक बार जब आप नदियों और पहाड़ों, पशुओं और पक्षियों के साथ संबंध बना लेते हैं तो प्रकृति अपने रहस्यों को आप के सामने प्रकट कर देती है। “आइए, हम संकल्प लें कि गांधी जी के इस संदेश को आत्मसात करेंगे और जिस भारत भूमि पर हम रहते हैं, उसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए त्याग भी करेंगे।”

राष्ट्रपति ने कोरोना संकट के दौरान उद्यमियों और मजदूरों के लिए किए गए प्रयासों का जिक्र किया और कहा कि उद्यमों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने हाल ही में 6 लाख 28 हजार करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है। इस वर्ष भी सरकार ने मई और जून में करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया। अब यह सहायता दीपावली तक के लिए बढ़ा दी गई है।

उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था में निहित विकास की क्षमता पर दृढ़ विश्वास के साथ सरकार ने रक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक उड्डयन, विद्युत तथा अन्य क्षेत्रों में निवेश को और अधिक सरल बनाया है। सरकार द्वारा पर्यावरण के अनुकूल, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों, विशेष रूप से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के नवीन प्रयासों की विश्वव्यापी प्रशंसा हो रही है।

अपने उद्बोधन के अंत में राष्ट्रपति ने देशवासियों को 75वें स्वतंत्रता की बधाई देते हुए कहा, “मेरा हृदय सहज ही आज़ादी के शताब्दी वर्ष 2047 के सशक्त, समृद्ध और शांतिपूर्ण भारत की परिकल्पना से भर गया है। मैं मंगलकामना करता हूं कि हमारे सभी देशवासी कोविड महामारी के प्रकोप से मुक्त होकर सुख और समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे।” (एजेंसी, हि.स.)

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