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रूस में फंसे यूपी के युवा, विदेश मंत्रालय पहुंचा मामला…. जल्द वतन वापसी की उम्मीद

November 30, 2025

गोरखपुर। रूस (Russia) में फंसे पूर्वी यूपी के युवाओं (Eastern UP Youth) का मामला विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) तक पहुंच गया है। सामाजिक कार्यकर्ता राजेशमणि ने मंत्रालय को मामले से अवगत कराते हुए युवाओं की वापसी के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है। उधर, गोरखपुर के सोनू तिवारी के जल्द स्वदेश लौटने की उम्मीद जग गई है। उनका टिकट बन गया है। इसकी जानकारी सोनू तिवारी ने फोन पर दी है।


बांसगांव के रहने वाले सोनू तिवारी को एजेंट ने मोटी तनख्वाह वाली नौकरी का झांसा देकर टूरिस्ट वीजा पर एक अक्तूबर को रूस भेजा था। रूस पहुंचने के बाद सोनू तिवारी को पता चला कि यहां टूरिस्ट वीजा को वर्क परमिट में तब्दील नहीं किया जा सकता है। एक महीने में उनका टूरिस्ट वीजा खत्म हो गया। तब से वह रूस में फंसे हैं। इधर, एजेंट भी सोनू की वापसी के लिए सक्रिय हो गया है। शनिवार को रूस से सोनू ने बताया कि टिकट हो गया है। सोमवार को वह दिल्ली पहुंच सकते हैं।

विदेश मंत्रालय तक पहुंचा मामला
रूस में भारतीय युवाओं के फंसाने का मामला विदेश मंत्रालय तक पहुंच गया है। मानव तस्करी पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता राजेश मणि ने इस मामले में विदेश मंत्रालय के साथ रूस स्थित भारतीय दूतावास को ईमेल कर जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि रूस में जो युवा फंसे हैं, उनका शोषण हो रहा है। उन्हें ई-वीजा पर भेजा गया। उनके पास वर्क परमिट नहीं है। रूस में उनकी सुरक्षा की जाए। उन्हें वापस स्वदेश भेजा जाए। उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन, रूस में भारतीय राजदूत के साथ ही माइग्रेशन पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी यूएन माइग्रेशन व इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन आफ माइग्रेशन को भी ईमेल के जरिए सूचना दी है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मसला है।

बेबुनियाद है आरोप, दूसरी एजेंसियों से भेजे गए युवा
वहीं दूसरी तरफ इम्पीरियो एजेंसी के संचालक मनीष कुमार ने रूस से लौटे युवाओं के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि सिर्फ चार युवाओं को उनकी एजेंसी के जरिए ई-वीजा पर रूस भेजा गया था। जिनके रुपये वह वापस करेंगे। अन्य युवा दूसरी एजेंसियों के माध्यम से गए थे। उन पर लगाए जा रहे आरोप गलत हैं। उन्होंने यह जरूर माना कि वह अनूप और राहुल को जानते हैं। उन्होंने कहा कि रूस में पहले से कुछ एजेंट मौजूद हैं। उन्होंने ई-वीजा को वर्क परमिट में बदलवाने का दावा किया था। उनके भरोसे पर ही युवाओं को रूस भेजा गया। उनका दावा गलत निकला, जिसके बाद युवाओं को वापस बुलाया गया है।

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