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15-20 नहीं 5 फीसदी वृद्धि पर होगा शराब ठेकों का नवीनीकरण

May 10, 2021

  • मप्र में नए शराब ठेकों के लिए इस बार नहीं होंगे टेंडर

भोपाल। कोरोना संक्रमण (Corona infection) को देखते हुए सरकार (Government) इस बार ऐसी आबकारी नीति (Excise Policy) बना रही है जिससे आमदनी अधिक हो और ठेकेदारों पर बोझ भी नहीं पड़े। इसके तहत प्रदेश में नए शराब ठेकों के लिए इस बार टेंडर (Bar tender) नहीं किए जाएंगे। सरकार (Government) की कोशिश है कि जिन ठेकेदारों के पास शराब दुकानों के ठेके हैं उन्हें ही 5 फीसदी वृद्वि पर सौंप दिया जाए। आबकारी विभाग के अधिकारी सरकार की मंशानुसार नई आबकारी नीति का खाका तैयार कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में शराब के ठेकों की अवधि 31 मई को समाप्त हो रही है। कोरोना आपदा के चलते औसतन 15 से 20 फीसदी वृद्धि पर टेंडर करना अभी संभव नहीं है। इसलिए आबकारी विभाग के उच्च अधिकारी शराब ठेकों के वर्तमान मूल्य से 5 फीसदी वृद्धि 31 मई के बाद ठेकों का नवीनीकरण करने की तैयारी कर रहे हैं। जिलों में शराब दुकानों के छोटे ग्रुप बनाकर उनसे ऑफर लेकर ठेके दिए जाने का भी प्रस्ताव है। नई आबकारी नीति का प्रस्ताव शासन के पास विचाराधीन है।

अधिक शराब बिकने पर जोर
सूत्रों के अनुसार नई आबकारी नीति में प्रदेश में अधिक शराब बिकवाने पर जोर रहेगा। सरकार कम कीमत पर अधिक शराब बिकवाकर राजस्व बढ़ाना चाहती है। गौरतलब है कि प्रदेश में साल दर साल शराब की खपत बढ़ती रहती है। वर्ष 2002-03 में 7.40 करोड़ लीटर शराब की खपत थी जो 2019-20 में 34.20 करोड़ लीटर हो गई। खपत औसतन 21 प्रतिशत की दर सालाना बढ़ रही है। सरकार का अनुमान है कि शराब के रेट में कम वृद्वि होने से उसकी खपत बढ़ेगी। वर्ष 2009-10 में सरकार की शराब से कमाई 2,850 करोड़ रुपए थी जो 2020-21 में बढ़कर 9000 करोड़ रुपए हो गई। 19.54 प्रतिशत आय ही हर साल बढ़ी।

हर साल 21 प्रतिशत बढ़ रही सालाना खपत
राज्य में शराब की खपत हर साल 21 प्रतिशत सालाना बढ़ रही है, लेकिन उससे राजस्व की सालाना वृद्धि 19.54 प्रतिशत ही रही। इसकी तुलना में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में बढ़ोतरी 7 प्रतिशत से भी कम रही, लेकिन इससे खजाने में हर साल 34 प्रतिशत ज्यादा पैसा आ रहा है। सरकार के अपने आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं।

अवैध शराब बिक्री रोकने कठोर नियम
नई आबकारी नीति में अवैध शराब की बिक्री रोकने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए कठोर नियम बनाए जा रहे हैं। अपुष्ट आंकड़े कहते हैं कि शराब में हर साल 30 से 40 प्रतिशत राजस्व की हानि होती है। शराब अवैध तरीके से बनती है और बिक जाती है। इस पर रोक लगे तो सरकारी बिक्री बढ़ेगी।

ठेकेदारों से सहमति बनाने के प्रयास
आगामी वर्ष की ठेका प्रक्रिया अप्रैल और मई इन दो महीनों की करीब 1500 करोड़ रुपए की फीस कम
कर पूरी की जाएगी। शासन इस मामले में शराब ठेकेदारों की सहमति बनाने के लिए उनके साथ बैठक भी करेगा। विगत वर्ष शराब ठेके 10638 करोड़ के मूल्य पर दिए गए थे लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन में शराब दुकानें बंद रहने से ठेकेदारों ने शासन से ठेकों का मूल्य कम करने की मांग की। आबकारी विभाग की निर्धारित प्रक्रिया के तहत शराब ठेकों में वर्तमान मूल्य में औसतन 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि पर टेंडर प्रक्रिया से ठेके दिए जाने पर वर्तमान मूल्य 9300 में लगभग 2000 करोड़ तक की वृद्धि हो सकती थी।
टेंडर प्रक्रिया के ठेके किए जाने पर बड़े महानगरों में 30 एवं इससे अधिक फीसदी पर भी शराब ठेके किए जाते थे।

 

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