उत्तर प्रदेश देश

खजाना: 40 घंटे, 13 मशीनें और 179 करोड़ की रकम, 80 बक्सों में नोट भरकर कंटेनर से भेजे गए बैंक

कानपुर। डीजीजीआई की टीम 40 घंटे से पीयूष जैन के ठिकानों पर डेरा जमाए है। देररात तक 179 करोड़ से अधिक की नकदी गिनी जा चुकी थी। नोटों की गिनती में 30 से अधिक कर्मचारी, 13 मशीनें लगाई गई हैं। अभीतक गिनी जा चुकी रकम 80 बक्सों में भरकर स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में भिजवाई गई है।

पीयूष के कन्नौज स्थित मकान से 1 करोड़ रुपये से अधिक के जेवर मिले है। कन्नौज में इत्र एवं कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के घर शुक्रवार देररात भी डीजीजीआई की छापेमारी जारी रही। चाबियां न मिलने पर हथौड़ों से अलमारियां तोड़ी गईं। यहां से चार करोड़ रुपये और एक करोड़ के जेवर भी टीम को मिले हैं।

टीम ने स्थानीय पुलिस से डुप्लीकेट चाबी बनाने वाले पिता-पुत्र को बुलवाया। वहीं रानू मिश्रा का मुनीम रहा विनीत गुप्ता भी इत्र और कंपाउंड के कारोबारी निकला। टीम उसे लेकर कचहरी टोला स्थित उसके घर पहुंची। यहां देररात तक उससे पूछताछ करती रही। यहां से भी दस्तावेज जब्त किए गए हैं। पीयूष जैन के आनंदपुरी स्थित घर की दीवारों से भी नोटों के बंडल मिले हैं। बुधवार को जब कार्रवाई शुरू हुई तो अफसरों को कई अलमारियां मिली थीं, जो बंद थीं।


दीवारों से निकले नोटों के बंडल
पीयूष जैन से कई बार अफसरों ने संपर्क किया लेकिन बात नहीं हो पाई। फिर दूसरे दिन अफसरों ने दूसरी चाभियों से ताले खोले। इनमें भारी मात्रा में कैश मिला। जिनकी गिनती शुक्रवार को चल ही रही थी। जांच के दौरान अधिकारियों को घर की कुछ दीवारें अन्य दीवारों से अलग लगीं। अधिकारियों ने दीवार को ठोंका तो खोखली लगी। दीवारों को तोड़ा गया तो अंदर से नोटों के बंडल गिरने लगे। ये बंडल पॉलिथीन और कागज में पैक थे। ये बंडल पांच सौ और सौ के नोटों के हैं। 

छापे की जानकारी पर स्कूटी से पहुंचा रानू मिश्रा
कारखाने में छापे की जानकारी मिलते ही कारोबारी रानू मिश्रा स्कूटी से कारखाने पहुंचा। यहां टीम से कहासुनी भी हुई। इसके बाद टीम ने रानू के लैपटॉप से डाटा खोज निकाला। पुलिस से प्रिंटर मंगवाकर उसका प्रिंटआउट निकालकर फाइल बनाई। इसके बाद कारखाने में रानू और उसके मुनीम से घंटों पूछताछ की। रानू का कानपुर के अलावा कई शहरों में मकान है। वह पान मसाला बनाने वाली कानपुर की एक बड़ी कंपनी को कंपाउंड सप्लाई करता है।

अन्य कारोबारियों ने कारखाने और गोदामों से हटाया माल
शहर में छापे के बाद अन्य कारोबारियों में हड़कंप मच गया। कई कारोबारियों ने कारखाने बंद कर माल को इधर-उधर छिपा दिया तो कई ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। देररात तक कारोबारी एक-दूसरे को फोन कर टीम की लोकेशन और गतिविधियों की जानकारी करते रहे।

27 सदस्यीय टीम ने की कार्रवाई
इत्र और कंपाउंड कारोबारियों के यहां छापा मराने वाली 27 सदस्यीय टीम ने बड़े गोपनीय ढंग से कार्रवाई की। टीम के सदस्यों के पास बगैर नंबर की बाइकें भी हैं। इससे चर्चा है कि टीम के कुछ सदस्य करीब 10 दिन से दोनों कर्मचारियों के आवासों, कारखानों और प्रतिष्ठानों के आसपास चक्कर लगाकर अहम जानकारी जुटा रहे थे।

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