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Parle-G ने ‘जहरीले’ चैनलों को विज्ञापन देना किया बंद

October 12, 2020

  • Parle-G से पहले उद्योगपति राजीव बजाज ने उठाया था कदम
  • सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगी कंपनी

मुंबई। आम आदमी का बिस्किट बनाने वाली कंपनी पारलेजी ने बड़ा फैसला लिया है। कंपनी ने समाज में कथित रूप से जहर घोलने वाले और उग्र कंटेंट प्रसारित करने वाले चैनलों पर विज्ञापन न देने का फैसला लिया है। इसकी जानकारी कंपनी के एक वरिष्ट अधिकारी ने दी। कंपनी ने यह फैसला ऐसे समय लिया है, जब मुंबई पुलिस ने कुछ दिनों पहले ही टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था। मुंबई पुलिस की कार्रवाई के बाद टीवी मीडिया को विज्ञापन देने वाली प्रमुख कंपनियां और मीडिया एजेंसियां इस पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।

पारलेजी कंपनी के वरिष्ट अधिकारी कृष्णराव बुद्ध का कहना है, ‘कंपनी समाज में जहर घोलने वाले कंटेट को प्रसारित करने वाले समाचार चैनलों पर विज्ञापन नहीं देगी।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम ऐसी संभावनाएं तलाश रहे हैं, जिसमें अन्य विज्ञापनकर्ता एक साथ आएं और समाचार चैनलों पर विज्ञापन देने के अपने खर्च पर संयम रखें, ताकि सभी समाचार चैनलों को सीधा मैसेज मिले कि उन्हें अपने कंटेट में बदलाव लाना होगा।’

 

Parle-G के फैसले की सोशल मीडिया पर हुई तारीफ
पारलेजी के इस फैसले की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है। कंपनी का मानना है कि आक्रमकता और सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाले कंटेंट को बढ़ावा देने वाले चैनल उनके असली लक्षित उपभोक्ता तक अपनी पहुंच नहीं रखते। वहीं सोशल मीडिया पर एक यूजर ने कंपनी के कदम की तारीफ करते हुए लिखा कि, ‘ये देश के लिए अच्छा है’। दूसरे यूजर ने लिखा, ‘बेहतरीन पल’ साथ ही सोशल मीडिया पर कई यूजर ने अन्य कंपनियों से अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को इस रास्ते पर चलना चाहिए और आशा है कि अधिक कंपनियां इसका पालन करेंगी और हमें सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

उद्योगपति और बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने इससे पहले कुछ इसी तरह तीन न्यूज चैनलों को अपने विज्ञापन के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था। इस पर राजीव बजाज का कहना था कि, एक मजबूत ब्रांड वो नींव है, जिस पर आप एक मजबूत कारोबार को खड़ा करते हैं, और दिन के अंत में एक कारोबारी का उद्देश्य भी समाज में कुछ योगदान करने का होता है। राजीव बजाज ने आगे कहा, ‘हमारा ब्रांड कभी किसी ऐसी चीज के साथ नहीं जुड़ा है, जो हमें लगता हो कि यह समाज में जहर घोलने का स्रोत है।’

टीआरपी रेटिंग वो जरिया है जिसके जरिए पता चलता है कि टीवी का कौन सा कार्यक्रम सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। इसके जरिए दर्शक की पसंद और ना पसंद का अंदाजा लगाकर टीवी चैनल पर कार्यक्रम को प्रस्तुत किया जाता है। वहीं जिस चैनल की टीआरपी ज्यादा होती है उसकी लोकप्रियता उतनी ही ज्यादा मानी जाती है।

 

 

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