करवा चौथ का व्रत कल 04 नवंबर दिन बुधवार को है। इस दिन पतिव्रता महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। दिन भर बिना अन्न तथा जल के व्रत रखकर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। उसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण तथा पारण कर व्रत पूरा करती हैं। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा क्यों की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है? यह सवाल आपके भी मन में होगा, इसलिए आज हम आपको इन दोनों ही सवालों के कारणों के बारे में बता रहे हैं।
करवा चौथ: चंद्रमा को अर्घ्य क्यों
ज्योतिष तथा शास्त्रों में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। साथ ही चंद्रमा सभी औषधियों के स्वामी भी हैं। चंद्रमा की पूजा करने से आयु वृद्धि होती है तथा दाम्पत्य जीवन खुशहाल रहता है। जिन लोगों का मन चंचल होता है, उन लोगों को चंद्रमा की पूजा करने का सुझाव दिया जाता है।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने के पीछे ये वजहें तो हैं ही, इसके अलावा चंद्रमा को दूध मिले हुए जल से अर्घ्य देने से नकारात्मकता दूर होती है, असुरक्षा और डर की भावना नहीं रहती। पति का स्वास्थ्य ठीक रहता है तथा कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बेहतर होती है।
चंद्रमा का अर्घ्य मंत्र
करवा चौथ के दिन जब आप चंद्रमा की पूजा करें और उसे अर्घ्य दें तो नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करें। यह चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र है।
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
करवा चौथ पूजा में चंद्रमा साक्षी
करवा चौथ के दिन जब सुहागन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं, तो वे चंद्रमा को साक्षी मानकर आराधना करती हैं। माता पार्वती यानी चौथ माता से व्रती महिलाएं यह आशीर्वाद मांगती हैं कि जिस प्रकार सति सवित्री का सुहाग अमर हो गया, उसे अखंड सौभाग्य का वरदान मिला, ठीक उसी प्रकार उनका भी सुहाग अखंड और अमर रहे।
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