रोहतक। पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने किसान आंदोलन को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार को कभी भी टकराव की नीति नहीं अपनानी चाहिए। सरकार का कोई अहम नहीं होता है, सरकार की सिर्फ जिम्मेदारी होती है कि वह जनता की जायज मांगों को बिना देरी किए माने।
उन्होंने कहा कि किसानों की मांग जायज है और सरकार को तुंरत किसानों की बात मानते हुए कृषि संबंधित तीन बिलों को रद्द कर देना चाहिए। कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से किसानों के साथ है। उन्होंने कहा कि एमएसपी की गारंटी के बिना नए कृषि कानून किसानों के हक में नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में उनके नेतृत्व में बनी कमेटी के बारे में बीजेपी भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। हमारी कमेटी ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की थी, जिससे किसानों का अहित हो।
पूर्व सीएम ने बताया कि उनके नेतृत्व में बनी मुख्यमंत्रियों की कमेटी ने मंडियों के विस्तार की सिफारिश की थी, ना कि उन्हें ख़त्म करने की। उसमें कहा गया था कि मंडियों पर किसी भी तरह का एकाधिकार नहीं होना चाहिए और मंडियों का विस्तार हर किसान तक होना चाहिए। हमारी सरकार के दौरान मंडियों का इतना विस्तार किया गया कि हरियाणा में हर 8-10 किलोमीटर के दायरे में बड़ी मंडी है। यूपीए सरकार के द्वारा ही जिन मंडियों में जगह कम पडऩे लग गई थी, उन्हें बड़ा आकार दिया गया। साथ ही बड़ी मात्रा में सरकारी खरीद केंद्र बनाए गए, एग्रो मॉल स्थापित लिए गए और किसान मंडियों को बढ़ावा दिया। इसके अलावा कमेटी ने स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत किसानों को उनकी फसल का रेट देने की सिफारिश की थी, लेकिन नए कानूनों में सी2 फार्मूला तो छोडिए कहीं एमएसपी का जिक्र तक नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार ज़ुबानी आश्वासन नहीं, एमएसपी की गारंटी का कानून दिया जाए और जो भी एमएसपी से कम पर खरीद करें उसके खिलाफ सजा का प्रावधान किया जाए। (एजेंसी, हि.स.)
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