
भोपाल। प्रदेश में एक तरफ कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पाद कम हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ करोड़ों रूपए खर्च होने के बाद भी ताप विद्युत गृहों की इकाईयां फेल हो रही हैं। आरोप है कि इसमें करोड़ों रूपए का खेल हो रहा है। यही वजह है कि बिजली उत्पादन करने वाली इकाइयों में मेंटेनेंस के बावजूद खराबी आ रही है। संजय गांधी ताप विद्युत गृह में दो माह मेंटेनेंस के नाम पर बंद इकाई चालू होने के एक बाद ही ठप हो गई। इस इकाई पर कंपनी प्रबंधन ने मेंटेनेंस पर करीब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया। 60 दिन तक इकाई से उत्पादन नहीं हुआ। जब इकाई चालू की गई तो उसके टरबाइन में बाइब्रेशन होने लगा। जानकार इसे अनोखी घटना बताते हुए मेंटेनेंस पर सवाल कर रहे हैं। इधर रबी सीजन में प्लांट में लगातार खराबी आने से बिजली संकट पैदा होने के आसार बन गए है। श्री सिंगाजी सयंत्र की एक नंबर 600 मेगावाट की इकाई बंद हो गई है। ऐसे में प्रदेश कोयला उत्पादित बिजली महज 1625 मेगावाट पर सिमट गया है।
ऐसी स्थिति प्रदेश में
श्रीसिंगाजी ताप गृह में भी 600 मेगावाट की एक इकाई को बंद किया गया है। अब यहां 2520 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की एवज में महज 716 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। यहां भी लगातार इकाईयां बंद है जो चल रही है उनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा है।
इकाई क्षमता उत्पादन
सारणी 1330 मेगावाट 407 मेगावाट
संजय गांधी 1340 मेगावाट 375 मेगावाट
अमरकंटक 210 मेगावाट 140 मेगावाट
श्रीसिंगाजी 2520 मेगावाट 716 मेगावाट
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