नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का असर अब धीरे-धीरे रूस पर नहीं बल्कि यूरोपीय देशों में दिखने लगा है, एक तरफ जहां रूस पर लगे प्रतिबंध से यूरोप में प्राकृतिक गैस गैस की किल्लत हो रही तो वहीं अब बिजली के लिए भी हाहाकार मच गया है।
आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) से उपजे ऊर्जा संकट से अब यूरोप के आम लोग बड़े स्तर पर प्रभावित होने लगे हैं।
जर्मनी ने इस सप्ताह सार्वजनिक स्मारकों पर लाइट बंद करने और सरकारी भवनों में हीटिंग बंद करने का फैसला लिया। जर्मनी समेत कई देश अपनी गैस की जरूरत का ज्यादातर हिस्सा रूस से आयात करते हैं, लेकिन अब इसकी सप्लाई लगातार घटती जा रही है। इसके चलते यूरोप में लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस ऊर्जा संकट से निपटने की है जो महंगाई को भी बढ़ा रहा है। गैस की कीमतों के साथ ही इस पर निर्भर कई और चीजों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। इसी कड़ी में यूरोप के तमाम देश बिजली बचाने के नए-नए प्रयोग कर रहे हैं।
जर्मनी की बात करें तो रूस से आने वाले तेल और गैस की कमी का जर्मनी पर सीधा असर पड़ा है और जर्मनी में बिजली उत्पादन अचानक कम हो गया। इसके चलते बिजली की आपूर्ति भी संकट में आ गई। जर्मनी ने इस सप्ताह सार्वजनिक जहगों पर लाइट बंद करने का आदेश दिया है!
वहीं फ्रांस को अपनी अधिकांश ऊर्जा करीब 70 प्रतिशत ऊर्जा परमाणु ऊर्जा से प्राप्त होती है, लेकिन वह अगले दो सालों में अपने उपयोग की ऊर्जा खपत को दस प्रतिशत तक कम करना चाहता है। फ्रांस ने वातानुकूलित दुकानों में नियम के तहत बिजली खर्च करने के आदेश दिए हैं।
जबकि स्पेन हालांकि स्पेन रूसी गैस आपूर्ति पर निर्भर नहीं है, फिर भी सरकार नागरिकों को ऊर्जा खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यहां पर्यावरण मंत्री ने कहा कि बिजली बचाने के प्रति लोगों को जितना संभव हो उतना बुद्धिमान होने की जरूरत है। स्पेन भी गैस के उपयोग में 7 से 8 प्रतिशत की कटौती करना चाहता है। इसके अलावा इटली, ग्रीस और अन्य देश भी बिजली बचाने की योजना पर काम कर रहे हैं। उधर यूरोपीय यूनियन भी अब सक्रिय हो गया है।
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