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तमिलों के मानवाधिकार को लेकर भारत ने उठाया UNHRC में मुद्दा

नई दिल्ली। भारत ने तमिल अल्पसंख्यकों (Tamil minorities) को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में यह मुद्दा जोर से उठाया है। भारत ने कहा कि श्रीलंका में मानवाधिकारों (human rights in sri lanka) का हनन हो रहा है।

आपको बता दें कि भारत ने श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यकों (Tamil minorities in Sri Lanka) के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में कड़ी प्रतिक्रिया दी। UNHRC की बैठक में भारत ने श्रीलंका में रहने वाले तमिल लोगों के मानवाधिकारों पर चिंता व्यक्त की।

भारत ने कहा कि पड़ोसी द्वीप राष्ट्र श्रीलंका में शांति और सुलह पर उसका लगातार दृष्टिकोण एक संयुक्त श्रीलंका के ढांचे के भीतर एक राजनीतिक समाधान के लिए रहा है। मगर वहां रहने वाले तमिल लोगों के लिए न्याय, शांति, समानता और सम्मान सुनिश्चित करना भी उसका मानवाधिकार है।

भारत ने इस मुद्दे पर वैश्विक संस्था में पड़ोसी श्रीलंका के प्रति ऐसा रुख पहली बार दिखाया। माना जा रहा है कि श्रीलंका ने भारत की आपत्तियों के बावजूद चीन के खुफिया जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह आने की इजाजत दी, वो भी ऐसे वक्त में जब एक दिन पहले ही भारत ने उसे डोर्नियर विमान दिया था। इतना ही नहीं आर्थिक संकट के कारण जब देश जल रहा था तब श्रीलंका की भारत ने खुलकर मदद की थी। ऐसे में भारत की चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए चीन को तवज्जो देना, श्रीलंका के प्रति भारत के रुख में बदलाव का कारण बताया जा रहा है।



भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 51वें सत्र में श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही, मानवाधिकार को बढ़ावा देने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की रिपोर्ट पर एक परिचर्चा के दौरान भारत ने तमिल अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया।

भारत ने कहा कि मानवाधिकारों को बढ़ावा देना और उसकी रक्षा करना तथा संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के अनुरूप रचनात्मक अंतराष्ट्रीय वार्ता एवं सहयोग करने में उसका सदा यकीन रहा है। विशेष क्षेत्र के लोगों के जातीय मुद्दे के राजनीतिक समाधान की अपनी प्रतिबद्धताओं पर श्रीलंका द्वारा प्रगति नहीं करने पर चिंता जताते हुए भारत ने सोमवार को 13वें संशोधन के पूर्ण क्रियान्वयन के लिए तत्काल एवं विश्वसनीय कार्य किये जाने की अपील की। साथ ही, भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश में यथाशीघ्र प्रांतीय चुनाव कराने की भी अपील की।

संयुक्त राष्ट्र के कार्यवाहक उच्चायुक्त नादा अल-नशिफ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को श्रीलंका का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि देश में लोग भोजन, ईंधन, बिजली और दवा की कमी से जूझ रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली श्रीलंका की नई सरकार से जुलाई में पूर्व राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को बाहर करने में मदद करने वाले विरोधी नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए सुरक्षा कानूनों के उपयोग को समाप्त करने का भी आग्रह किया।

श्रीलंका में रह रहे तमिलों में असंतोष
श्रीलंकाई सरकार की गलत नीतियों और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण श्रीलंका में रहने वाले तमिल लोगों में गहरा असंतोष पैदा हो गया। वे लोग खुद को कटा-कटा समझते हैं और तो और जबसे देश में आर्थिक संकट गहराया है तब से वे लोग खुद और अकेला समझने लगे हैं। उसके साथ वैसा सलूक भी नहीं किया जा रहा है, जिससे वे लोग आहत हैं। 23 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका में काफी संख्या में तमिल लोग लोग रहते हैं।

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