नई दिल्ली। पिछले साल सरकार ने गोल्ड आभूषणों (gold jewelery) पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य कर दिया था। 16 जून 2021 से सभी ज्वैलरी के लिए BIS हॉलमार्किंग जरूरी किया गया था इसके बाद ही ज्वैलर्स केवल हॉलमार्क वाली ज्वैलरी (gold jewelery) बेच सकते हैं, हालांकि जो लोग पुराने आभूषण रखे हुए उन पर शायद यह निशान नहीं होगा, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस पर भी यह निशान आसानी से लगवा सकते हैं।
आपको बता दें कि जब से गोल्ड आभूषणों पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य किया उसी समय से कई लोगों के मन यह प्रश्न है कि पुराने गोल्ड की ज्वैलरी (Gold Jewellery) की कीमत कैसे आंकी जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं है सोना तो सोना ही होता है। इस पर भी आसान आसानी से हॉलमार्किंग का काम करवा सकते हैं। अगर आपके पुराने गहने पर हॉलमार्क का निशान नहीं है, तो भी आप इसे बेच सकते हैं। अगर आप पुराने गहने पर ही हॉलमार्किंग का निशान लगवाना चाहते हैं, तो ये भी काम भी हो सकता है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को 23 जून 2021 से अनिवार्य कर दिया था। BIS की हॉलमार्किंग स्कीम के तहत ज्वैलर्स को हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है। अगर आपके पास पुराने गहने हैं, जिनपर हॉलमार्किंग के निशान नहीं है, तो भी ज्वैलर्स ऐसे गोल्ड को खरीद लेंगे।
ऐसे करवा सकते हैं हॉलमार्क
वहीं डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अगर आपकी पुरानी ज्वैलरी पर हॉलमार्क नहीं है तो यह काम किसी भी BIS रजिस्टर्ड ज्वैलर के पास जाकर करवाया जा सकता है।
अगर कोई ग्राहक हॉलमार्क के बावजूद सोने की शुद्धता से असंतुष्ट है, तो वह हॉलमार्किंग सेंटर में खुद से इसकी जांच करा सकता है। अगर ग्राहक की चुनौती सही साबित होती है, तो ज्वैलर ग्राहक की चुनौती सही पाए जाने पर ज्वैलर के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान है।
हॉलमार्क को अनिवार्य करने का पहला चरण 23 जून 2021 से प्रभावी हुआ था। नियम को हॉलमार्क केंद्र वाले 256 जिलों में हॉलमार्क को अनिवार्य किया गया था। दूसरे चरण एक जून 2022 से प्रभावी हुआ था। दूसरे चरण में अनिवार्य हॉलमार्क व्यवस्था के तहत 32 अतिरिक्त जिलों को शामिल किया गया था।